ऐक्सिस बैंक के एमडी एवं सीईओ अमिताभ चौधरी के कार्यकाल को तीन वर्ष तक बढ़ाने की अनुमति नियामक ने दी है। चौधरी ने जनवरी 2019 में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक का कार्यभार संभाला था। उन्होंने मनोजित साहा और सुब्रत पांडा से बातचीत में बताया कि देश के शीर्ष दो निजी बैंक में जगह बनाने के लिए क्या करने की जरूरत है। बातचीत के संपादित अंशः
आरबीआई ने अगले तीन साल के लिए आपकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। अगले तीन वर्ष में आप क्या हासिल करेंगे?
ऐक्सिस बैंक से जुड़ने के 90 दिनों के भीतर ही हमने जीपीएस (वृद्धि, मुनाफा, निरंतरता) की रणनीति की शुरुआत की। बुनियादी बात यह है कि इस रणनीति में बदलाव नहीं आया है। जीपीएस के साथ-साथ पिछली 8 से 9 तिमाहियों में 18 फीसदी इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) मिला है। उस वक्त हमारी महत्वाकांक्षा अपने पहचाने गए कारोबारी क्षेत्रों में शीर्ष खिलाड़ी बनने की थी। हमारी यह यात्रा जारी है क्योंकि छह वर्षों में हमने काफी प्रगति की है लेकिन महामारी के चलते हमने कुछ वक्त गंवा दिया। इसके अलावा ग्राहकों को जोड़ने, भारत बैंक और डिजिटल बैंक से जुड़ा हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है।
क्या आप क्रेडिट कार्ड में शीर्ष दो पायदान पर पहुंचना चाहते हैं?
अगर आप बकाया क्रेडिट कार्ड की संख्या को देखेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि हमारे और एचडीएफसी बैंक में यह अंतर काफी ज्यादा है। हमने सिटी बैंक के पोर्टफोलियो को हासिल किया और अब हमारे पास क्रेडिट कार्ड का व्यापक दायरा है। मेरा मानना है कि आखिरकार चार या पांच खिलाड़ी ही अहम होंगे। हमारा इरादा हर तरह की सेवाएं देनेे वाला बैंक बनने का है।
ऋण एवं जमा वृद्धि को लेकर बैंक का अनुमान क्या है?
जमा वृद्धि करीब 12-13 प्रतिशत के स्तर पर रहने की उम्मीद है। ऋण वृद्धि भी उसी संख्या के अनुरूप हो सकता है लेकिन इसमें विभिन्न दरों के हिसाब से वृद्धि नहीं हो सकती है।
क्या आप कोई अधिग्रहण की योजना बना रहे हैं?
अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है। बैंक के तौर पर हमारे सामने आने वाले सभी मौके का आकलन करना भी जिम्मेदारी है।
ऐक्सिस बैंक कुछ वक्त तक शीर्ष तीन बैंकों में शामिल रहा। शीर्ष दो बैंकों में कब तक पहुंचेंगे?
हमने एक ऐसा मंच तैयार किया है जिसके बलबूते हम शीर्ष पायदान पर या दूसरे पायदान पर पहुंचने का लक्ष्य तय कर सकते हैं। कुछ कारोबार में हम इस स्तर पर पहुंच भी गए हैं। लेकिन इस वक्त कुछ चुनौतियां भी हैं तो हमें सतर्कता बरतनी होगी।
असुरक्षित ऋण वाले खंड में आपको कितना दबाव दिखता है?
असुरक्षित पोर्टफोलियो में दबाव के संकेत हैं और कुछ हद तक यह माइक्रोफाइनैंस में भी है। ऐक्सिस बैंक असुरक्षित उधारियों को लेकर बेहद रुढ़िवादी है और हम 91वें दिन ही सबकुछ बट्टा खाते में डाल देते हैं। इसलिए हमारा पोर्टफोलियो भी जल्द ठीक होगा।