हो सकता है कि आपके पास 15 लाख या 20 लाख रुपये बीमा राशि वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी हो। आप इसे बड़ी रकम मान सकते हैं मगर आज इलाज इतना महंगा हो गया है कि किसी भी बीमारी में यह रकम कम पड़ जाने का जोखिम आपके सामने आ सकता है। इस जोखिम से बचने का एक तरीका यह है कि ऐसी पॉलिसी खरीदी जाए, जिसमें बीमा राशि पूरी तरह खत्म होने के बाद फौरन उतनी ही बीमा राशि दोबारा आ जाए। इसे रीइंस्टेंटमेंट बेनिफिट पॉलिसी भी कहा जाता है और बीमा उद्योग में इसके कई नाम हैं मसलन रीचार्ज, रीलोड, रीगेन, रीफिल, रीस्टोर, रीएश्योर आदि।
कैसे करती है काम?
मान लीजिए कि किसी परिवार ने 10 लाख रुपये बीमा राशि के साथ फ्लोटर पॉलिसी ली है। अब परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है और उसके इलाज पर 10.5 लाख रुपये का खर्च आता है। उस सूरत में पूरी बीमा राशि खत्म हो जाएगी। अगर इसके बाद परिवार का कोई दूसरा सदस्य बीमार पड़ जाता है तो उसके इलाज का पूरा खर्च परिवार को ही उठाना पड़ेगा। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख – स्वास्थ्य बीमा सिद्धार्थ सिंघल कहते हैं, ‘अगर पॉलिसी में रीप्लेनिशमेंट यानी रकम दोबारा पूरी हो जाने का विकल्प है तो बीमा राशि पहले जैसी हो जाती है।’ऊपर के उदाहरण में यदि पॉलिसी रीस्टोर बेनिफिट के साथ है तो बीमा कंपनी अपने आप पॉलिसी रीचार्ज कर देगी यानी जिस साल पॉलिसी का इस्तेमाल किया गया है उसी साल बीमा राशि वापस 10 लाख रुपये हो जाएगी।
जरूर हों ये फीचर
भारत में 20 लाख रुपये से अधिक राशि वाली बीमा पॉलिसी बहुत कम लोग ही कराते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति लगातार बीमार पड़ता रहे तो क्या होगा?
कई बार ऐसा भी होता है कि किसी परिवार के कई सदस्य एक साथ बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं। कोविड महामारी के दौरान कई परिवारों को ऐसी स्थिति से दोचार होना पड़ा था। नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस में निदेशक (अंडरराइटिंग, उत्पाद एवं दावे) भवतोष मिश्र कहते हैं, ‘ऐसी हालत में कम रकम वाली फ्लोटर बीमा पॉलिसी नाकाफी पड़ जाएगी।’
कोई गंभीर बीमारी हो गई तो सामान्य पॉलिसी में बीमा राशि कम पड़ सकती है। मिश्र बताते हैं, ‘अगर किसी का गुर्दा पूरी तरह खराब हो जाए तो उसे नियमित तौर पर डायलिसिस करानी पड़ती है और बाद में गुर्दा बदलवाना भी पड़ता है। इसी तरह कैंसर हो जाने पर मरीज को रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हॉर्मोन थेरेपी, सर्जरी आदि करानी पड़ सकती हैं।’ अगर बीमा की रकम दोबारा पूरी हो जाए तो आपको इलाज पर अपनी जेब से खर्च नहीं करना पड़ेगा।
महंगी हैं ये पॉलिसी?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के फीचर वाली बीमा पॉलिसी ज्यादा महंगी नहीं होती हैं। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स के हेड (सेल्स ऐंड सर्विस) नयन गोस्वामी का कहना है, ‘ अब मूल बीमा पॉलिसी के साथ इन-बिल्ट फीचर के तौर पर रीस्टोर बेनिफिट दिया जाता है। इसलिए ग्राहक अतिरिक्त प्रीमियम दिए बगैर भी यह फीचर ले सकते हैं। इसमें अलग से प्रीमियम देना भी पड़ा तो मिलने वाले फायदों की तुलना में बहुत मामूली होगा।’
वह समझाते हैं कि अतिरिक्त प्रीमियम भी तभी भरना पड़ता है जब आप इस लाभ को ऐड-ऑन कवर के तौर पर लेते हैं।
मगर रहे ध्यान
इस तरह के फीचर में कुछ बातें ध्यान रखनी होंगी। ये बातें इलाज में खर्च बीमा राशि और पॉलिसी के दायरे में आने वाली बीमारियों से जुड़ी हैं।
कितने खर्च पर फायदा
एक बात ध्यान रहनी चाहिए। इसका फायदा यानी बीमा राशि वापस पहले जितनी होने का फायदा तभी मिलेगा, जब आपकी बीमा राशि का कुछ हिस्सा या पूरी राशि इलाज में खर्च हो जाए। मान लीजिए कि आपके पास 10 लाख रुपये कवर वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है और आपने 5 लाख रुपये का दावा किया है। अगर तभी यह फीचर काम करने लगता है तो इसे आंशिक इस्तेमाल कहा जाता है। अगर यह फीचर पूरे 10 लाख रुपये खर्च होने पर काम करता है तो इसे पूरा इस्तेमाल कहा जाएगा। गोस्वामी कहते हैं, ‘ऐसी पॉलिसी चुनना सही होगा, जिसमें आंशिक इस्तेमाल के बाद ही यह फीचर काम करने लगे।’
एक ही बीमारी के लिए
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है और बीमा राशि पूरी तरह खर्च हो जाती है। इसके बाद रीस्टोर फीचर शुरू तो होता है मगर कई पॉलिसी में शर्त होती है कि बीमारी दूसरी होनी चाहिए। इस मामले में ऐसा हुआ तो दिल के दौरे के इलाज के लिए रीस्टोर फीचर नहीं मिलेगा। इसलिए आपको ऐसी पॉलिसी चुननी चाहिए, जिसमें उसी बीमारी के लिए रीस्टोर फीचर लागू होता हो।
अधिकतम रकम
कुछ पॉलिसी में 100 फीसदी बीमा राशि वापर आ जाती है। कुछ अन्य पॉलिसी में 50 फीसदी राशि ही वापस आती है। कुछ ऐसी पॉलिसी भी होती हैं, जिनमें मूल बीमा पॉलिसी की राशि की 200 से 600 फीसदी तक रीस्टोर फीचर में मिल जाती है। इसलिए यह जरूर समझ लें कि आपको कितनी रकम मिल रही है।
अधिकतम उपयोग
कुछ पॉलिसी में बीमा राशि साल में एक बार ही रीस्टोर होती है। कुछ पॉलिसी, जैसे हाल ही में आई मैक्स बूपा की रीअश्योर 2 में बीमा राशि असीमित बार रीस्टोर हो जाती है।
कैरी फॉरवर्ड
यह भी बहुत अहम फीचर है, जिसका आपको ध्यान रखना चाहिए। ज्यादातर पॉलिसी में एक साल इस्तेमाल से छूट गई रकम अगले साल पॉलिसी में नहीं जुड़ सकती है। कुछ पॉलिसी ऐसी भी होती हैं, जिनमें बची रकम को अगले साल जोड़ा यानी कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।