मैटरनिटी इंश्योरेंस साल 2025 में भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कंजंप्शन-बेस्ड हेल्थ बेनिफिट बन गया है। पॉलिसीबाजार द्वारा जारी नए आंकड़ों के अनुसार, इस कैटेगरी ने सालाना आधार पर 150 से 180 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। रिपोर्ट बताती है कि मैटरनिटी कवर युवा परिवारों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की दुनिया में कदम रखने का प्रमुख जरिया बन गई है। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि मैटरनिटी कवरेज खरीदने वाली 96% महिलाएं पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस ले रही थीं। आंकड़ों के अनुसार, मैटरनिटी इंश्योरेंस खरीदने वालों में 18 से 35 वर्ष की महिलाओं का हिस्सा 76.9 फीसदी रहा। वहीं, पुरुषों ने अपनी पत्नियों के लिए प्लान खरीदकर 15.6 फीसदी की हिस्सेदारी निभाई।
कंपनी ने इस तेज मांग की वजह बढ़ते डिलीवरी खर्च और गर्भावस्था के दौरान होने वाले लगातार खर्च को बताया है। टियर-1 शहरों में सामान्य डिलीवरी का खर्च अब 25,000–50,000 रुपये के बीच पहुंच गया है, जबकि टियर-2 और 3 शहरों में यह 15,000–30,000 रुपये तक होता है। वहीं, सी-सेक्शन डिलीवरी के खर्च मेट्रो शहरों में 78,000 से 1 लाख रुपये तक पहुंच चुके हैं। साथ ही, 80 फीसदी से ज्यादा मैटरनिटी बेनिफिट्स ऐड-ऑन (add-ons) के रूप में खरीदे गए, न कि बंडल प्रोडक्ट्स के रूप में।
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मैटरनिटी प्रोटेक्शन की ओर यह रुझान हेल्थ इंश्योरेंस में बढ़ती कंजंप्शन-बेस्ड (उपयोग-आधारित) सोच को भी दर्शाता है। पॉलिसीबाजार ने बताया कि 2025 में बेची गई सभी हेल्थ पॉलिसियों में OPD (आउटपेशेंट विभाग) ऐड-ऑन का हिस्सा 10–15 फीसदी रहा। यह उन परिवारों की जरूरत से बढ़ा है जिन्हें बार-बार डॉक्टर से सलाह या छोटे इलाज की आवश्यकता पड़ती है।
OPD बेनिफिट्स की 40 फीसदी उपयोग दर दर्ज की गई, जो सामान्य अस्पताल में भर्ती होने वाले दावों की तुलना में काफी ज्यादा है। इस सुविधा का सबसे ज्यादा उपयोग 45–60 वर्ष की आयु के ग्राहकों द्वारा किया गया।
पॉलिसीबाजार में हेल्थ इंश्योरेंस हेड सिद्धार्थ सिंघल ने कहा कि ये आंकड़े दिखाते हैं कि उपभोक्ताओं के हेल्थ इंश्योरेंस उपयोग करने के तरीके में बड़ा बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत का हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर अब एक कंजंप्शन-फर्स्ट दौर में दाखिल हो रहा है। मैटरनिटी कवर नए ग्राहकों को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाते रहेंगे। हमें यह भी उम्मीद है कि ‘हेल्थ वॉलेट’ मॉडल तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि यह उसी तरह काम करता है जैसा परिवार अपने हेल्थकेयर बजट को मैनेज करना पसंद करते हैं।”
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हेल्थ वॉलेट, जो प्रीपेड और उपयोग-आधारित फीचर होते हैं तथा OPD खर्च, नॉन-पेयबल आइटम्स और रिवार्ड-लिंक्ड रिन्यूअल जैसे लाभ कवर करते हैं। इनकी मांग भी शुरुआती स्तर पर बढ़ती दिखी। लगभग 8% मैटरनिटी खरीदारों ने वॉलेट-इंटीग्रेटेड मॉडल को चुना। यह दर्शाता है कि युवा और फाइनैंशियल प्लानिंग करने वाले परिवार इस मॉडल को अपना रहे हैं।
कंजंप्शन-बेस्ड हेल्थ बेनिफिट्स की मांग पूरे देश में बढ़ी है। टियर-2 और टियर-3 शहरों से कुल खरीद का लगभग 55–60% योगदान आया। बेंगलुरु, दिल्ली, एर्नाकुलम, हैदराबाद और पुणे मैटरनिटी इंश्योरेंस के टॉप बाजार रहे।