भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ‘डिजिटल ऋण – ऋण उत्पादों में पारदर्शिता’ पर मसौदे का दिशानिर्देश जारी किया। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंकों के रूप में काम करने वाले ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) को सभी कर्ज प्रस्तावों की जानकारी उधारकर्ताओं को डिजिटल रूप से मुहैया करानी होगी। इससे सिस्टम में लंबे समय से प्रतीक्षित पारदर्शिता आ पाएगी।
बैंकिंग नियामक ने डिजिटल उधारी के इस मसौदा परिपत्र में कहा कि बहु ऋणदाताओं से समझौता होने की स्थिति में संभावित ऋण देने वाले की पहचान उधारी लेने वाले को नहीं भी हो सकती है। नियामक के समक्ष यह मामले भी उजागर हुए हैं कि कई एलएसपी एग्रीगेटर सेवाओं के जरिये कई ऋणों की आउटसोर्सिंग कर देते हैं।
इसके मद्देनजर आरबीआई ने यह मसौदा पेश किया है। मसौदा परिपत्र के मुताबिक एलएसपी को कर्जदार की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सभी इच्छुक कर्जदाताओं के पास उपलब्ध प्रस्तावों का डिजिटल ब्योरा मुहैया कराना चाहिए।
इस डिजिटल ब्योरे में कर्ज की पेशकश करने वाली इकाई का नाम, कर्ज की राशि और अवधि के अलावा वार्षिक प्रतिशत दर एवं अन्य शर्तों की जानकारी होनी चाहिए। इससे ऋण लेने वाला उपलब्ध ऑफरों की तुलना कर सकेगा।
आरबीआई ने इस मसौदा प्रस्ताव पर 31 मई तक विभिन्न पक्षों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। डिजिटल उधारी देने वाली फिनटेक कंपनियों ने इस दिशानिर्देश का स्वागत किया है। डिजिटल उधारी देने वाले स्टार्टअप फाइब के सह संस्थापक व मुख्य कार्याधिकारी अक्षय महरोत्रा ने कहा, ‘सभी ऋणों का डिजिटल रूप से ब्योरा मुहैया कराने की स्थिति में सूचना पर आधारित फैसला लिया जा सकेगा।’