भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने कहा कि भारतीय जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) द्वारा बीमित जमाकर्ताओं को प्रतिपूर्ति पाने में औसतन 30 दिन लगते हैं, जबकि वैश्विक औसत 14 दिन का है।
भारत में प्रतिपूर्ति में देरी की मुख्य वजह डेटा की गुणवत्ता से जुड़े मसले, बीमित जमाकर्ताओं की पहचान में देरी और जमाकर्ताओं के पास वैकल्पिक बैंक खाते न होना है।
इटली के शहर रोम में 15 जून को इंटरनैशनल एसोसिएशन आफ डिपॉजिट इंश्योरर्स के कार्यक्रम में पात्र ने कहा, ‘जमाकर्ताओं को प्रतिपूर्ति में लगने वाले वक्त का वैश्विक औसत 28 दिन से घटकर 14 दिन रह गया है। वहीं इस समय डीआईसीजीसी के प्रतिपूर्ति में औसतन करीब एक महीने लगते हैं।
तेजी से प्रतिपूर्ति न हो पाने की वजहों में डेटा की गुणवत्ता के मसले, बीमित जमाकर्ता की पहचान, जमाकर्ता का वैकल्पिक बैंक खाता न होना शामिल है।’ रिजर्व बैंक ने मंगलवार को यह भाषण वेबसाइट पर अपलोड किया।
भारत में विदेशी बैंकों सहित सभी बैंकों के लिए जमा बीमा अनिवार्य किया गया है। इस समय कुल 1,997 बैंक इसके दायरे में आते हैं, जिसमें 140 वाणिज्यिक बैंक और 1,857 सहकारी बैंक शामिल हैं। जमा बीमा पर आईएडीआई के ताजा सर्वे के मुताबिक भारत में जमा स्वीकार करने वाले संस्थानों की संख्या अमेरिका के बाद सबसे अधिक है।