केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को सुझाव दिया है कि वे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को धन मुहैया करने में अपनी भागीदारी बढ़ाएं। मंत्रालय के अनुसार विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है।
वित्तीय सेवा मामलों के सचिव एम. नागराजू ने इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (नैबफिड), आईआईएफसीएल और बैंकों को अब सुरक्षित संपत्तियों से हटकर नई, बड़ी आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को ऋण देना चाहिए। नागराजू ने विकसित भारत 2047 के लिए भारतीय बुनियादी ढांचे पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में कहा, ‘एनबीएफसी और बैंकों के संसाधनों को साझा करने की जरूरत है, तभी वे बड़ी परियोजनाओं को धन मुहैया करा सकते हैं।’
नागराजू ने कहा कि ऋण देने वालों को वैश्विक स्तर की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इस क्रम में नवोन्मेषी वित्तीय उत्पादों को तलाशना चाहिए। उन्होंने जोखिम प्रबंधन और धोखाधड़ी से सुरक्षा की जरूरत पर भी बल दिया।
नागराजू ने कहा, ‘बुनियादी ढांचा परियोजनाएं आमतौर पर तभी व्यावहारिक हो सकती हैं, जब किसी तरह की धोखाधड़ी न हो, धन को कहीं और हस्तांतरित न किया जाए और समयसीमा का पालन हो। हम जब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को धन मुहैया करवाते हैं तो मानदंड पूरे करने पर ज्यादातर परियोजनाओं से राजस्व सृजन होता है और वे व्यवहार्य होती हैं।’
अभी तक आईआईएफसीएल ने 2.8 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए हैं। इनमें से कुल 1.4 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरित कर दिए गए हैं। इनमें से 50 फीसदी ऋणों का वितरण बीते 4-5 वर्षों में हुआ है। उन्होंने कहा, ‘ आपको (आईआईएफसीएल को) विकसित भारत की आकांक्षा को पूरा करने के लिए अगले तीन वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराना चाहिए। आप में देश की बेहद जटिल परियोजनाओं को हाथ में लेने और आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को धन मुहैया कराने की क्षमता, अनुभव और मजबूती है।’
इस कार्यक्रम के इतर आईआईएफसीएल के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी (एमडी व सीईओ) पी आर जयशंकर ने यह उम्मीद जताई कि आगामी बजट में आधारभूत ढांचे में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी। जयशंकर ने कहा ‘सकल घरेलू उत्पाद को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश जरूरी है।
आज, हम यह समझने की स्थिति में हैं कि बुनियादी ढांचे के लिए मदद हमारी आर्थिक प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण होगा। हम पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था और फिर आखिरकार 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था को हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, ऐसे में हमें वैश्विक स्तर के बुनियादी ढांचे का रोडमैप तैयार करना होगा। मैं इस मामले में आशावादी हूं कि इस बजट में बुनियादी ढांचे में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी।’ आईआईएफसीएल 20 फीसदी चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है जिसे बनाए रखने के लिए ऋण व इक्विटी में उचित संतुलन स्थापित करने की जरूरत है।