केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि आज के अनिश्चित वैश्विक माहौल में बैंकों की भूमिका केवल लोगों की बचत सुरक्षित रखने तक सीमित नहीं है। वे अब देश के विकास की रीढ़ बन चुके हैं। वह पुणे में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 91वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि बैंकों को मजबूत बैलेंस शीट बनाए रखनी होगी, ताकि वे बड़े निवेश, कर्ज की बढ़ती मांग और नए वित्तीय उत्पादों को समर्थन दे सकें।
सीतारमण ने भारत की आर्थिक मजबूती का उल्लेख करते हुए कहा कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP विकास दर 7.8 प्रतिशत रहा। यह किसी संयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि सक्रिय नीतियों, ढांचागत सुधारों, बुनियादी ढांचे में निवेश और बेहतर शासन का असर है। उन्होंने कहा कि भारत की युवा आबादी, मजबूत आर्थिक नींव और घरेलू मांग इसे वैश्विक झटकों से बचाने में मदद करते हैं।
वित्त मंत्री ने डिजिटलीकरण, खासकर UPI, की सराहना की, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल तकनीक ही पर्याप्त नहीं है। उनके अनुसार, ग्राहकों का भरोसा बनाए रखने के लिए बैंकों को इंसानियत, सहानुभूति और सही निर्णय क्षमता दिखानी होगी।
उन्होंने बैंकों से कहा कि हर शिकायत को सुधार का अवसर मानें। केवल जवाब देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि समस्याओं की जड़ तक जाकर उत्पादों, प्रक्रियाओं और व्यवहार में सुधार करना आवश्यक है।
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सीतारमण ने बताया कि हाल ही में वैश्विक रेटिंग एजेंसियों — S&P Global, मॉर्निंगस्टार DBRS और जापान की रेटिंग एंड इन्वेस्टमेंट इन्फॉर्मेशन (R&I) — ने भारत की रेटिंग में सुधार किया है। यह भारत की आर्थिक मजबूती का प्रमाण है।
इस अवसर पर वित्त सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों (MSME) तथा कृषि क्षेत्र को अधिक कर्ज देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा ऋण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और किसी भी आवेदन को खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
नागराजू ने बैंकों से अपील की कि वे कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में भी अपनी भागीदारी बढ़ाएं।