बैंक पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ विकास योजनाओं की फंडिंग बढ़ाने के लिए बेहतर शर्तों की मांग कर रहे हैं, जिनमें ऋण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र (पीएसएल) के मानदंडों में संशोधन और आरक्षित पूंजी की आवश्यकताओं में छूट शामिल हैं।
इंडियन मर्चेंट चैंबर (आईएमसी) द्वारा वित्तीय समावेशन विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में भारतीय स्टेट बैंक के उप प्रबंध निदेशक (एसएमई) एस राणा ने कहा, ‘यह पर्यावरण अनुकूल विकास की फंडिंग (ग्रीन फाइनैंसिंग) को प्रोत्साहन देने का वक्त है। आरबीआई ने ऋण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र (पीएसएल) के तौर पर पवन एवं सौर ऊर्जा संबंधी हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 30 करोड़ रुपये तक की अनुमति दी है।’
मौजूदा नियम के मुताबिक 10,000 करोड़ रुपये के ऋण के लिए, बैंकों को 4,000 करोड़ रुपये का ऋण, प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लिए लक्षित करना होता है। ऐसा लक्ष्य हासिल नहीं करने पर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने भी टिकाऊ और हरित परियोजनाओं की फंडिंग को प्रोत्साहित करने के लिए नियामक से नियमों पर दोबारा से विचार करने के संदर्भ में बात की है।
फरवरी 2024 में हरित जमा योजना (ग्रीन डिपॉजिट स्कीम) शुरू करते समय देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ग्राहकों के ग्रीन डिपॉजिट पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कम करने का अनुरोध किया था।
वर्तमान में, बैंकों को अपनी कुल जमाओं पर 4.5 प्रतिशत का नकद आरक्षित अनुपात बनाए रखना होता है और हरित जमा पर कोई अलग से छूट नहीं दी जाती है। इसके साथ ही, बैंकों को सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को पूरा करने के लिए, जमा-पूंजी का 18 प्रतिशत सरकारी बॉन्ड में निवेश करना होता है।
फरवरी में बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि एसबीआई ने दो प्रस्ताव रखे थे, पहला, हरित जमा पर सीआरआर में कटौती करना और दूसरा इसे सभी बैंकों के लिए समग्र नीति का हिस्सा बनाना।
वित्तीय सेवा समिति के सह-अध्यक्ष एम नरेंद्र ने कहा कि हरित परियोजनाओं की फंडिंग को शामिल करने के लिए ऋण के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के मानदंडों पर दोबारा विचार करने का समय है और इसके साथ ही नए क्षेत्रों को इसमें शामिल करने और इसकी सीमा बढ़ाने का वक्त है। वर्तमान में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में 30 करोड़ रुपये के निवेश को पीएसएल का दर्जा मिलता है।
ईएसएएफ स्मॉल फाइनैंस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कदंबेली पॉल थॉमस ने कहा कि अधिकांश बैंक बिना किसी प्रोत्साहन के छोटे स्तर पर ऐसी फंडिंग कर रहे हैं। भारत में मौजूदा जरूरतों पर विचार करते हुए पीएसएल जैसे मौजूदा नियमों और रियायतों जैसे मानदंडों पर फिर से गौर करना आवश्यक है।