इंडसइंड बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 की मार्च तिमाही में ₹2,329 करोड़ का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया है। बैंक का कहना है कि यह नुकसान मुख्य रूप से लेखा धोखाधड़ी और बढ़े हुए प्रावधानों के कारण हुआ है। बैंक के बोर्ड ने कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता पर संदेह जताते हुए, मामले की जानकारी जांच एजेंसियों और नियामक संस्थाओं को देने का निर्देश दिया है।
बैंक ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो, डेरिवेटिव कारोबार, और बैलेंस शीट में गड़बड़ियों को लेकर आंतरिक ऑडिट कराया गया है, जिसके बाद शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे हुए हैं और फॉरेंसिक जांच शुरू की गई है।
मार्च 2025 में बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में ₹1,979 करोड़ की गड़बड़ी की जानकारी दी थी। इसके अलावा, आंतरिक जांच में पता चला कि ₹674 करोड़ को माइक्रोफाइनेंस से प्राप्त ब्याज के रूप में गलत तरीके से रिकॉर्ड किया गया। बैलेंस शीट में ₹595 करोड़ की बिना आधार वाली राशि “अन्य संपत्तियों” में दिखाई गई।
29 अप्रैल को CEO सुमंत कथपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना ने इस्तीफा दिया। बैंक ने संचालन के लिए तीन महीने की अवधि के लिए एक कार्यकारी समिति गठित की है। RBI ने बैंक से कहा है कि वह 30 जून 2025 तक नए CEO की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजे।
बैंक ने कहा है कि उसने अनियमितताओं की जड़ तक पहुंचने, वित्तीय असर का आकलन करने और सुधारात्मक कार्रवाई के साथ-साथ जिम्मेदारी तय करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
बोर्ड को संदेह है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें पूर्व प्रमुख प्रबंधन कर्मी (KMP) भी शामिल हैं, महत्वपूर्ण आंतरिक नियंत्रणों को दरकिनार करने में शामिल रहे हैं।
इसलिए बैंक ने केंद्र सरकार को इस धोखाधड़ी की जानकारी दी है और सभी जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया शुरू की है।
इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा, “यह घटनाएं संस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रही हैं। लेकिन बोर्ड और प्रबंधन ने पूरी गंभीरता से सभी मुद्दों का हल निकालने का संकल्प लिया है। हम इन घटनाओं से सीख लेकर बैंक की गवर्नेंस और अनुपालन संस्कृति को और सशक्त बनाएंगे।” उन्होंने आगे कहा कि बैंक की आधारभूत वित्तीय स्थिति मजबूत है, और वह आने वाले समय में सतत विकास की दिशा में अग्रसर होगा।
बुधवार को इंडसइंड बैंक के शेयर बीएसई पर 1.39% गिरकर ₹771.10 पर बंद हुए।
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