जेफरीज के इक्विटी विश्लेषकों ने गुरुवार को कहा कि क्रेडिट सुइस संकट का भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर कम प्रभाव पड़ने का अनुमान है, क्योंकि भारत में इस स्विस ऋणदाता की अपेक्षाकृत कम उपस्थिति है।
जेफरीज के अनुमान में कहा गया है कि क्रेडिट सुइस की भारत में विदेशी बैंकों की कुल परिसंपित्तयों में 1.5 प्रतिशत और कुल बैंकिंग परिसंपत्तियों में महज 0.1 प्रतिशत भागीदारी है।
जेफरीज ने कहा है कि भारत में क्रेडिट सुइस की सिर्फ एक शाखा है और उसकी कुल परिसंपत्तियां 200 अरब रुपये हैं।
जेफरीज के विश्लेषकों प्रखर शर्मा और विनायक अग्रवाल ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत के बैंकिंग क्षेत्र के लिए क्रेडिट सुइस की प्रासंगिकता को देखते हमें खासकर डेरिवेटिव बाजार से संबंधित जोखिम आकलन में कुछ समायोजन का अनुमान है।’
क्रेडिट सुइस ने कहा कि वह अपनी तरलता बढ़ाने के लिए स्विस केंद्रीय बैंक से 54 अरब डॉलर उधार लेगा। क्रेडिट सुइस के शेयर में भारी गिरावट के बाद निवेशकों में वैश्विक बैंकिंग संकट को लेकर आशंका गहरा गई थी।
स्विटजरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक क्रेडिट सुइस 2008 के वित्तीय संकट के बाद से ऐसा पहला प्रमुख वैश्विक बैंक है जिसे आपातस्थिति में वित्तीय मदद प्रदान की गई है। बैंकिंग संकट से इसे लेकर भी अनिश्चितता पैदा हुई है कि क्या केंदीय बैंक आक्रामक दर वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति से निपटने में सक्षम हो पाएंगे।
ये अनिश्चितताएं वैश्विक बाजारों के साथ साथ भारत में भी बरकरार हैं।
जेफरीज का कहना है कि वह नकदी संकट और भारतीय बैंकों पर पड़ने वाले जोखिम पर नजर बनाए रखेगी।