वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान धोखाधड़ी के मामले घटे हैं मगर उनमें शामिल राशि तेजी से बढ़ी है। धोखाधड़ी के अधिकांश मामले डिजिटल भुगतान से जुड़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार बैंकों से जुड़े धोखाधड़ी के कुल 23,953 मामले सामने आए, जो 2023-24 की तुलना में 34 प्रतिशत कम रहे। किंतु 2024-25 में 36,014 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई और यह रकम उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 3 गुना अधिक रही।
सालाना रिपोर्ट में कहा गया, ‘2024-25 में जिन धोखाधड़ी की शिकायतें आईं, उनमें शामिल कुल राशि साल भर पहले की रकम से काफी अधिक होने के दो मुख्य कारण रहे। पहला, उससे पिछले वित्त वर्ष में 18,674 करोड़ रुपये के 122 मामलों को धोखाधड़ी की श्रेणी से हटा दिया गया और दोबारा जांच के बाद इस वित्त वर्ष में फिर से उनकी शिकायत की गई। दूसरा, उच्चतम न्यायालय के 27 मार्च, 2023 के फैसले का अनुपालन सुनिश्चित किया गया।’
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में 1 लाख रुपये और उससे अधिक की धोखाधड़ी के मामले शामिल किए गए हैं। इसमें वे मामले भी हो सकते हैं, जिनमें धोखाधड़ी कई साल पहले हुई थी मगर शिकायत इस साल दर्ज कराई गई थी। केंद्रीय बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष में धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले निजी क्षेत्र के बैंकों ने आए। उन बैंकों में धोखाधड़ी के 14,233 मामले सामने आए हैं, जो बैंकिंग क्षेत्र में कुल धोखाधड़ी के 59.4 प्रतिशत हैं।
सरकारी बैंकों की तुलना में ये बहुत अधिक हैं। सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी के केवल 6,935 मामले आए, जो कुल मामलों के 29 प्रतिशत ही रहे। किंतु सरकारी बैंकों में 25,667 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई, जो इस तरह के मामलों में शामिल रकम की कुल 71.3 प्रतिशत है। निजी क्षेत्र के बैंकों में कुल 10,088 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा, ‘बैंक समूह के मुताबिक देखें तो पिछले 3 वर्षों में निजी क्षेत्र के बैंकों में सबसे अधिक धोखाधड़ी हुई मगर सबसे ज्यादा रकम की धोखाधड़ी सरकारी बैंकों में दिखी।’
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2024-25 में धोखाधड़ी की अधिकतर घटनाएं डिजिटल भुगतान श्रेणी में हुईं, जो कुल मामलों की 56.5 प्रतिशत है। डिजिटल भुगतान में कुल 520 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 13,516 मामले आए। ऋण लेने में धोखाधड़ी के महज 7,950 मामले सामने आए हैं, लेकिन इनमें 33,148 करोड़ रुपये की रकम गई, जो धोखाधड़ी में शामिल कुल राशि की 92 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक के अनुसार संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा धोखाधड़ी डिजिटल भुगतान (कार्ड/इंटरनेट) में हुई, जबकि रकम के हिसाब से ऋण श्रेणी में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी रही। कार्ड/इंटरनेट धोखाधड़ी के मामले निजी क्षेत्र के बैंकों में ज्यादा आए हैं, जबकि सरकारी बैंकों में कर्ज लेने में धोखाधड़ी ज्यादा की गई है।