भारत की पहली 50-वर्षीय बॉन्ड (50-year bond) की नीलामी को शुक्रवार को मजबूत मांग के चलते पूरी तरह से बिक गई। यह दर्शाता है कि इस अल्ट्रा-लॉन्ग बॉन्ड के लिए बीमा और पेंशन फंडों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये (1.2 अरब डॉलर) के 2073 बॉन्ड को 7.46 प्रतिशत की कटऑफ यील्ड पर बेचा है।
बीमाकर्ताओं समेत निवेशकों ने संभावित रूप से इस बॉन्ड को हाथों-हाथ ले लिया। उन्होंने अपनी लंबी अवधि वाली प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए नीलामी से पहले ही हायर यील्ड में बॉन्ड को लॉक करने के लिए मजबूत दिलचस्पी दिखाई है।
सरकार द्वारा रिकॉर्ड उधार लेने के बावजूद भारत का यील्ड कर्व सपाट
देश के बढ़ते जीवन बीमा और पेंशन फंड उद्योग भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर के सॉवरेन ऋण बाजार के आउटलुक को बदल रहे हैं। इसका सबसे कारण देश में बढ़ता हुआ मिडल क्लास है।
सरकार द्वारा रिकॉर्ड उधार लेने के बावजूद भी भारत का यील्ड कर्व (yield curve) लगभग सपाट रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीमाकर्ताओं ने लॉन्ग टर्म बांड की खरीद बढ़ा दी है।
लॉन्ग टर्म वाले बॉन्ड की बिक्री से सरकार को बेचे गए ऋण की अवधि बढ़ाने और अपनी ब्याज लागत को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है। आज की कटऑफ पिछले सप्ताह नीलाम हुए 40-वर्षीय बॉन्ड की यील्ड 7.54 प्रतिशत से कम रही।
सरकार की 30,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचने की योजना
बता दें कि सरकार की अक्टूबर से फरवरी की अवधि में 30,000 करोड़ रुपये के 50 साल वाले बॉन्ड बेचने की योजना है। रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 6.55 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचेगी, ये इसी घोषित उधार योजना का हिस्सा है।
सरकार ने सितंबर में बताया था कि इस लक्ष्य का 4.58 प्रतिशत जुटाने के लिए 50-वर्षीय बॉन्ड का इस्तेमाल किया जाएगा।