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चुनाव में वादे पर वादे पर पैसा कहां से आए? राजस्व के मोर्चे पर बहुत कमजोर है ​केंद्र शासित प्रदेश की ​स्थिति

इस केंद्र शासित प्रदेश में वित्त वर्ष 2025 के लिए 99,000 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) राजस्व एकत्र हुआ है, जो FY 2020 में 52,000 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होने की संभावना है।

Last Updated- September 29, 2024 | 11:04 PM IST
Where did the money come from for the promises made in the elections? The position of the Union Territory is very weak on the revenue front चुनाव में वादे पर वादे पर पैसा कहां से आए? राजस्व के मोर्चे पर बहुत कमजोर है ​केंद्र शासित प्रदेश की ​स्थिति

जम्मू-कश्मीर में लगभग एक दशक बाद हो रहे विधान सभा चुनाव के लिए मंगलवार को अंतिम चरण का मतदान होगा। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बुनियादी विकास, मुफ्त गैस सिलिंडर समेत अन्य सरकारी योजनाओं को मुफ्त या स​​ब्सिडी पर देने का वादा किया है। कई दलों ने अपने घोषणा पत्र में यह भी ऐलान किया है कि यदि सत्ता में आए तो घर की सबसे बुजुर्ग महिला के खाते में नकद रकम डालेंगे।

विधान सभा चुनाव कोई भी जीते, यह अलग मुद्दा है, लेकिन अपने दम पर इन लोकलुभावन मुफ्त योजनाओं को अमल में लाने के लिए जम्मू-कश्मीर को आ​र्थिक स्तर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू-कश्मीर की करों से कमाई बहुत कम है। इस केंद्र शासित प्रदेश में वित्त वर्ष 2025 के लिए 99,000 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) राजस्व एकत्र हुआ है, जो वित्त वर्ष 2020 में 52,000 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होने की संभावना है। राज्य में राजस्व का पांचवां हिस्सा अपने कर संग्रह से आता है। वित्त वर्ष 2022 में यह अनुपात सबसे ज्यादा 24 प्रतिशत तक पहुंच गया था।

जम्मू-कश्मीर के लिए अ​धिकतर राजस्व लगभग 68 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान के रूप में मिलता है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से यह केंद्रीय करों का भुगतान नहीं करता है। इसके अलावा, वेतन, पेंशन और ब्याज समेत अन्य खर्चों के भुगतान संबंधी प्रतिबद्धताओं के कारण राज्य विकास योजनाओं पर भी एक सीमा तक ही खर्च कर पाता है, क्योंकि वित्त वर्ष 2025 में कुल राजस्व का 54 प्रतिशत से अ​धिक तो इन मदों में ही खर्च हो जाने की संभावना है।

इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों की तुलना में यहां आ​र्थिक संसाधनों का बड़ा हिस्सा पूंजीगत संप​त्तियां विकसित करने में ही चला जाता है। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान वास्तविक पूंजीगत व्यय औसतन सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 7.6 प्रतिशत रहा, जबकि अन्य राज्यों में यह 3.9 प्रतिशत ही था।

इस केंद्र शासित प्रदेश में जीएसडीपी के अनुपात के रूप में पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2020 में 7.4 से लगभग दोगुना बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 14 प्रतिशत होने की उम्मीद है, लेकिन यहां पूंजीगत व्यय का उपयोग हमेशा बजट अनुमान से कम ही रहा है। अमूमन यह बजट में आवंटित रा​शि का औसतन 40 प्रतिशत रहता है।

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल बुनियादी ​विकास के साथ-साथ युवाओं को रोजगार का वादा भी कर रहे हैं। वर्ष 2019-20 में देश में बेरोजगारी दर जहां 4.8 प्रतिशत थी, वहीं जम्मू-कश्मीर में यह 6.7 प्रतिशत थी। इसके बाद के वर्षों में इसमें गिरावट आई, लेकिन आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 में बेरोजगारी पुन: बढ़कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। महिलाओं में बेरोजगारी की ​स्थिति तो और भी खराब स्तर पर है।

वास्तव में, देश में उच्च शिक्षित बेरोजगारों की सबसे बड़ी फौज जम्मू-कश्मीर में है। वर्ष 2023-24 में राज्य में स्नातक डिग्रीधारी युवाओं में बेरोजगारी दर 22.3 प्रतिशत और परास्नातक में यह 22.9 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है।

केंद्रशासित प्रदेश में जो युवा नौकरीपेशा हैं, उनमें स्वरोजगार वालों की संख्या लगभग 67 प्रतिशत है जबकि देशभर में यह आंकड़ा 58 प्रतिशत ही है। हां, नियमित नौकरी या वेतनभोगी लोगों का आंकड़ा जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय स्तर पर एक जैसा ही लगभग 22 प्रतिशत है।

First Published - September 29, 2024 | 11:04 PM IST

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