लोकसभा चुनावों से बमुश्किल 60 दिन पहले आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’संसद में पेश कर दिया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसके जरिये लोगों को याद दिलाने की कोशिश की है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 10 साल के शासन में देश ‘अनिर्णय’ और ‘घोटालों’ से किस कदर घिरा रहा था।
श्वेत पत्र में संदेश दिया गया है कि ‘26 पार्टियों का गठबंधन’ वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी प्रणाली शुरू करने जैसे अहम फैसले भी नहीं ले पाया। इसके उलट मौजूदा सरकार का रुख ‘निर्णायक’ और ‘परिवर्तनकारी’ रहा।
सरकार के एक अध्यादेश को सितंबर, 2013 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा फाड़े जाने की याद दिलाते हुए श्वेत पत्र कहता है कि संप्रग का कार्यकाल ‘गहरे भ्रष्टाचार’ और ‘नेतृत्व के संकट’ से जूझ रहा था।
पत्र में कहा गया है, ‘सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को फाड़ने की शर्मनाक हरकत से नेतृत्व की कमी सबके सामने आ गई।’
मनमोहन सिंह सरकार दोषी ठहराए गए सांसदों को संसद और विधानसभाओं की सदस्यता गंवाने से तीन महीने की मोहलत देने वाला अध्यादेश लाई, जिसे राहुल ने ‘बिल्कुल बकवास’ करार दिया था। मगर राहुल ने वास्तव में अध्यादेश फाड़ा नहीं था बल्कि कहा था कि इसे ‘फाड़कर फेंक देना चाहिए’।
श्वेत पत्र में ‘घोटाले’ और ‘भ्रष्टाचार’ शब्द का इस्तेमाल 17 और 13 बार हुआ है, जबकि ‘कल्याण’ शब्द 11 बार आया है। पत्र कहता है कि ‘घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों’ ने लोगों का भरोसा हिला दिया। इसमें कोयला खदान आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल, 2जी और सारदा चिट फंड समेत 15 घोटालों की मौजूदा स्थिति भी बताई गई।
पिछले कुछ सालों में कांग्रेस नेतृत्व पीवी नरसिंह राव सरकार में शुरू हुए आर्थिक सुधारों की बात करने से कोताही बरतती रही है मगर श्वेत पत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को सुधार की प्रक्रिया का श्रेय दिया गया है। पत्र में कहा गया है, ‘विडंबना है कि 1991 के सुधारों का श्रेय लेने से कभीकभार ही चूकने वाले संप्रग नेतृत्व ने 2004 में सत्ता मिलने के बाद उन्हें छोड़ ही दिया।’
श्वेत पत्र में कहा गया कि ‘हमारी सरकार’ ने ‘संप्रग सरकार के कार्यक्रमों का फायदा जनता को पहुंचाने में काफी’ सुधार किया और ‘भारत की विकास की क्षमता का फायदा उठाने के लिए नीतियों में कई नई पहल कीं’।
इसमें कहा गया है कि संप्रग ने सार्वजनिक संसाधनों की बरबादी कर अर्थव्यवस्था की दुर्गति कर दी और पिछली सरकार (वाजपेयी सरकार) के चलाए सुधारों का फायदा उठाने के बाद भी वायदे के मुताबिक जीएसटी जैसे अहम सुधार नहीं कर पाई क्योंकि वह राज्यों को साथ ले ही नहीं सकी।
श्वेत पत्र के अंत में रॉबर्ट फ्रॉस्ट की मशहूर कविता ‘स्टॉपिंग बाय द वुड्स ऑन अ स्नोई ईवनिंग’ की पंक्तियां दी गई हैं, जो जवाहरलाल नेहरू को बहुत पसंद थीं और उनकी मेज पर रखी रहती थीं। ‘दियर आर माइल्स टु गो ऐंड माउंटेन्स टु स्केल बिफोर वी स्लीप’ लिखकर पत्र भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ समाप्त होता है।