देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का आंकड़ा और भी बढ़ने की पूरी संभावना दिख रही है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार प्रवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने गुरुवार को कहा कि पिछले चार-पांच साल से देश में एफडीआई तेजी से बढ़ा है, जिसे देखते हुए आगे भी आंकड़ा बढ़ता लग रहा है।
नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना कारोबार सम्मेलन में भाटिया ने कहा, ‘हमें एफडीआई और बढ़ने की उम्मीद है। अगर पिछले चार-पांच साल के आंकड़े देखें तो इनमें लगातार इजाफा आया है और अब यह काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। भारत में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है। जब वे निवेश के लिए भारत पर विचार करते हैं तो उन्हें यहां कई खूबियां नजर आती हैं।’
भाटिया ने कहा कि एफडीआई के आंकड़ों पर बहस हो सकती है मगर पिछले वित्त वर्ष में देश में 81 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जो अब तक का तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। किसी एक साल में सर्वाधिक एफडीआई का आंकड़ा 84 अरब डॉलर रहा था। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
भाटिया ने कहा, ‘हमें लंबी अवधि के लिहाज से निवेश पर विचार करना चाहिए। यह अवधि 8-10 साल या इससे अधिक भी हो सकती है। लंबी अवधि के निवेश अधिकतम रिटर्न दे पाते हैं। देसी निवेश पीछे रहने का भी मुझे कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। जब नीतियां सकारात्मक और मददगार हों तो देसी निवेश सुस्त पड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।’
उन्होंने कहा कि देश में औद्योगिक गलियारों और औद्योगिक पार्कों का निर्माण तेजी से हो रहा है। देश में सभी क्षेत्रों की खूबियों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं। इलेक्ट्रॉनिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के निर्माण पर केंद्रित एक बेहद सफल योजना भी चलाई जा रही है।
भाटिया ने कहा कि सरकार कारोबार को हरसंभव मदद देने के लिए पूरी तरह तैयार है। सरकार ने देश में उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई दमदार नीतियां तैयार की हैं और उनका क्रियान्वयन भी जोश के साथ हो रहा है।
डीपीआईआईटी सचिव ने देश की आर्थिक वृद्धि में स्टार्टअप एवं नवाचार के योगदान पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘हम देश में स्टार्टअप के लिए माकूल माहौल तैयार कर रहे हैं। नए उत्पादों, प्रक्रियाओं और कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए स्टार्टअप क्षेत्र को उद्योग जगत के साथ अवश्य जोड़ा जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘देसी निवेश मजबूत रहे तो स्थिति और भी मजबूत हो जाती है यानी देश की एफडीआई आकर्षित करने की क्षमता चार से पांच गुना तक बढ़ जाती है। सरकार और उद्योग साथ मिलकर काम कर रहे हैं और युवा आबादी, हुनरमंद लोगों के साथ भारत आने वाले वर्षों में ऊंची वृद्धि दर के साथ आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहा है।’
ऑस्ट्रेलिया इंडिया सेंटर के सीईओ टिम थॉमस ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार से जुड़ी संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए इस साल भारत के साथ आर्थिक सहयोग एवं एकीकरण की नई कार्य योजना शुरू की है। इस योजना में स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा एवं कौशल, कृषि-कारोबार और पर्यटन प्रमुख हैं।’
भाटिया ने यह भी बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी भारत निवेश के लिए किस तरह भरोसेमंद और आकर्षक स्थान के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा, ‘इस समय देश अंदरूनी से अधिक बाहरी अनिश्चितताओं से जूझ रहा है। कोविड महामारी के बाद वैश्विक व्यापार संबंधों और आपूर्ति व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं। कंपनियां अब विनिर्माण के लिए भरोसेमंद ठिकाने तलाश रही हैं और ठिकानों में विविधता भी लाना चाहती हैं। इससे भारत के लिए कई नए मौके तैयार हुए हैं।’
भाटिया ने संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ भारत के व्यापार समझौतों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘ये समझौते भारत के लिए नया बाजार खोल रहे हैं और दुनिया में भारत की मौजूदगी बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं।’ उन्होंने देश की आर्थिक स्थिरता का भी जिक्र किया और कहा कि अगले कुछ साल में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सालाना 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है।