महाराष्ट्र के पालघर जिले में बन रहा वधावन बंदरगाह चालू होने के बाद दुनिया के टॉप 10 बंदरगाहों में शामिल होगा। इसका पहला चरण 2028 तक तैयार हो जाएगा। यहां मल्टी मॉडल कार्गो हैंडलिंग की सुविधा मिलेगी। महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने कहा कि यह प्रोजेक्ट देश को आर्थिक ताकत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
‘इनमेक्स एसएमएम इंडिया 2025’ की 14वीं प्रदर्शनी के उद्घाटन में राणे ने कहा कि जहाज निर्माण और मरम्मत ने हमेशा समुद्री ताकतों को मजबूत किया है। आज दुनिया का 95% जहाज निर्माण एशिया में होता है, जिसमें चीन, कोरिया और जापान आगे हैं, लेकिन भारत की हिस्सेदारी अभी 1% से भी कम है।
‘मैरीटाइम इंडिया विजन 2030’ और ‘मैरीटाइम अमृतकाल विजन 2047’ के तहत भारत ने 2047 तक दुनिया के टॉप 5 जहाज निर्माण देशों में शामिल होने का लक्ष्य रखा है। महाराष्ट्र ने भारत की पहली ‘शिपबिल्डिंग, शिप रिपेयर और शिप रीसाइक्लिंग पॉलिसी 2025’ शुरू की है। इस पॉलिसी से 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश और करीब 1.4 लाख रोजगार बनने की उम्मीद है।
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वधावन बंदरगाह महाराष्ट्र और भारत दोनों के लिए समुद्री ताकत बनने का मौका देगा। इससे राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी। इस बंदरगाह में महाराष्ट्र सरकार की 26% हिस्सेदारी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद इसके सुचारू कामकाज के लिए केंद्र सरकार से चर्चा कर रहे हैं। बंदरगाह बनने के बाद यह दुनिया के टॉप 10 गहरे समुद्र वाले बंदरगाहों में शामिल होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2024 में इसकी आधारशिला रखी थी। इसे 76,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है।
राज्य सरकार मुंबई महानगर क्षेत्र में यात्री जल परिवहन की योजना, भूमि प्रबंधन और तटीय आवंटन की नीतियां और शिपबिल्डिंग क्लस्टर के लिए तकनीकी-आर्थिक अध्ययन जैसी योजनाओं पर भी काम कर रही है।
इन्फॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के एमडी योगेश मुद्रस ने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र अब देश की ग्रोथ का अहम हिस्सा बन रहा है। शिपबिल्डिंग और रिपेयर ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहे हैं। शिपिंग में 100% एफडीआई से निजी कंपनियों की भागीदारी भी बढ़ी है। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसी वैश्विक पहलों में भारत की मौजूदगी इसकी बढ़ती ताकत दिखाती है।
इस प्रदर्शनी में 250 से ज्यादा बड़े समुद्री ब्रांड्स शामिल हुए हैं। 20 से अधिक देशों ने इंटरनेशनल पवेलियन लगाया है और 80 से ज्यादा विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया है। इसके अलावा, 10,000 से ज्यादा विज़िटर्स आने की उम्मीद है, जिनमें शिपबिल्डर्स, शिप ओनर्स और इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स शामिल हैं।