प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वाहन उद्योग से ‘सच्ची आत्मनिर्भरता’ की राह पर बढ़ने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को टिकाऊ गतिशीलता के राष्ट्रीय लक्ष्यों और हरित परिवहन में अपनी विकास रणनीतियों को वैश्विक नेतृत्व के साथ समेकित करना चाहिए।
दुनिया के 90 प्रतिशत से अधिक दुर्लभ मैग्नेट का प्रसंस्करण और निर्यात करने वाले चीन ने अप्रैल 2025 में निर्यात प्रतिबंध लगाकर भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हलचल मचा दी।
इलेक्ट्रिक वाहनों की ट्रैक्शन मोटर में दुर्लभ मैग्नेट जरूरी है। इनका उपयोग पारंपरिक कारों के कई पुर्जों में भी किया जाता है। नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) के 65वें वार्षिक सम्मेलन में अपने संदेश में मोदी ने कहा कि वाहन उद्योग ने ‘गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है’ और ‘मेक इन इंडिया पहल का अग्रदूत रहा है, जिससे भारतीय विनिर्माण में वैश्विक भरोसा बढ़ा है और भारत को वाहन उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जैसा कि हम विकसित भारत के दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं, सरकार और उद्योग के लिए यह जरूरी है कि वे संपूर्ण वाहन निर्माण मूल्य श्रृंखला में सच्ची आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मिलकर काम करें।’
उन्होंने कहा कि मजबूत नीतिगत ढांचे और सुधारों ने भारत की ‘भविष्य के लिए तैयार परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र’ की ओर यात्रा को तेज कर दिया है, जिससे विकास को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी को विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ एकीकृत किया गया है।
मोदी ने कहा कि हरित प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहनों और टिकाऊ विकल्पों पर क्षेत्र का बढ़ता ध्यान भारत के स्वच्छ गतिशीलता लक्ष्यों को मजबूत कर रहा है, साथ ही डिजाइन, उत्पादन और इस्तेमाल में नए अवसर पैदा कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि सायम का वार्षिक सम्मेलन नए विचारों को जन्म देगा और ‘राष्ट्र के विकास के लिए नए रास्ते तैयार करेगा’, विशेष रूप से ऊर्जा भंडारण और टिकाऊ गतिशीलता समाधान जैसे उभरते क्षेत्रों में।