देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि घरेलू सुधारों ने देश को एक तरह की सुरक्षा दी है, जिसकी जरूरत उसे भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण आने वाले वर्षों में पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनौती भरी यह स्थिति अगले कुछ साल तक बनी रह सकती है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘ हमने वैश्विक झटकों से उबरने की क्षमता पहले ही हासिल कर ली है। वृद्धि के जो नतीजे आएंगे वे हमें प्रसन्नता भरी हैरत में डाल सकते हैं।’ ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के एक कार्यक्रम में नागेश्वरन ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में लागू सुधार भारतीय निर्यात पर लगे 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क के प्रतिकूल असर की कुछ हद तक भरपाई कर देंगे। उन्होंने कहा कि इस शुल्क की वजह से चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि पर मुश्किल से 0.2 या 0.3 फीसदी असर होगा।
नागेश्वरन ने कहा, ‘जीएसटी सुधार से न केवल देसी खपत को बढ़ावा मिलेगा बल्कि अनिश्चितता के कारण आगे होने वाले प्रभावों को भी यह कम करेगा।’ सरकार ने 3 सितंबर को जीएसटी व्यवस्था में परिवर्तन को घोषणा की थी, जो साल 2017 में शुरू हुई इस कर व्यवस्था में अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार है। सरकार ने जीएसटी की चार दरों के बजाय केवल दो दरें 5 फीसदी और 18 फीसदी कर दी हैं, जो 22 सितंबर से लागू होंगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि बुनियादी सुधार में दो पक्ष होते हैं और सरकार बेशक अपना काम कर रही है मगर निजी क्षेत्र को भी उत्पादकता और निवेश पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और श्रम के बीच संतुलन भी बनाए रखना होगा ताकि समाज में उथलपुथल न मच जाए। उन्होंने कहा कि भारत न तो डॉलर का विकल्प तलाश रहा है और न ही ऐसी किसी मुहिम का हिस्सा है। नागेश्वरन ने कहा कि राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 4.4 पर समेटने का अपना लक्ष्य सरकार हासिल कर लेगी।