अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के तेल के मुख्य खरीदार भारत और चीन पर 100% टैरिफ लगाने का सुझाव दिया था, ताकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डाला जा सके। लेकिन यूरोपीय संघ (EU) इस सुझाव को अपनाने की संभावना से इनकार कर रहा है। मंगलवार को ट्रंप ने सीधे ईयू के सैन्क्शन एम्बेसी डेविड ओ’सुलिवन और अन्य अधिकारियों से संपर्क किया। यूरोपीय संघ की टीम वॉशिंगटन में रूस के खिलाफ लगाए जाने वाले प्रतिबंधों पर चर्चा करने आई थी।
ईयू सैन्क्शन और टैरिफ को अलग तरह से देखता है। सैन्क्शन लगाने से पहले लंबी जांच होती है, ताकि कानूनी आधार मजबूत रहे। अब तक ईयू ने सिर्फ रूस और बेलारूस के उर्वरक और कृषि उत्पादों पर टैरिफ लगाया है। ईयू के अधिकारियों के अनुसार, पूरे भारत या चीन पर 100% टैरिफ लगाना जोखिम भरा होगा। इसके बजाय केवल कुछ कंपनियों को टारगेट करना आसान है और अगर वे रूसी कंपनियों के साथ व्यापार बंद कर दें, तो सैन्क्शन हटा भी सकते हैं। पहले ही जुलाई में ईयू ने रूस पर कई सैन्क्शन लगाए थे, साथ ही भारत के नयारा तेल रिफाइनरी और दो चीनी बैंकों को भी शामिल किया था।
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इस समय ईयू और भारत के बीच एक व्यापार समझौता आखिरी चरण में है। दोनों पक्ष कृषि, डेयरी और अन्य व्यापार संबंधी मुश्किलों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले 20 सालों में भारत और ईयू के बीच व्यापार 3 गुना बढ़ गया है। 2024 में भारत, ईयू का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साथी था और ईयू, भारत का चौथा सबसे बड़ा आयात साझेदार। 2023-24 में भारत और ईयू के बीच कुल सामान का व्यापार 137.41 अरब डॉलर था। इसके अलावा, 2023 में दोनों के बीच सेवाओं का व्यापार 51.45 अरब डॉलर था। भारत से ईयू को मुख्य रूप से मशीनरी, उपकरण, रसायन, धातु, खनिज उत्पाद और कपड़े मिलते हैं, जबकि ईयू से भारत को मशीनरी, उपकरण, वाहन और रसायन आते हैं।”
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की जानकारी के अनुसार, 2023-24 में भारत और ईयू के बीच सामान का द्विपक्षीय व्यापार 137.41 अरब डॉलर था, जिससे ईयू भारत का सबसे बड़ा सामान व्यापारिक साथी बन गया। इसके अलावा, 2023 में दोनों के बीच सेवाओं का व्यापार लगभग 51.45 अरब डॉलर का था। सेवाओं के मामले में 2023 में कुल व्यापार 59.7 अरब यूरो था, जिसमें ईयू का घाटा 7.9 अरब यूरो रहा।
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सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर लॉन्च किया गया। इस कॉरिडोर का उद्देश्य भारत, यूरोप और पश्चिम एशिया को जोड़ना है। इसमें अमेरिका, UAE, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। कॉरिडोर का मार्ग मैर्सिले (फ्रांस) के माध्यम से भूमध्यसागर तक जाता है। हालांकि, गाजा संघर्ष के कारण अभी तक इस कॉरिडोर में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।