GST दरों के हालिया संशोधन के बाद राजस्व में होने वाली संभावित हानि को लेकर कई शोध एजेंसियों और अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई थी। कुछ अनुमानों के अनुसार केंद्र को 24,000 करोड़ रुपये से लेकर 10 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है। लेकिन ताजा आंकड़े इन आशंकाओं को पूरी तरह गलत साबित करते हैं।
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2025 में सकल GST संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 4.6% अधिक है। इसमें घरेलू संग्रह 2% बढ़ा, जबकि आयात से होने वाली GST में 12.8% की वृद्धि दर्ज की गई।
विभिन्न एजेंसियों के अनुमान और वास्तविक आंकड़ों की तुलना करें तो उनके अनुमान काफी अधिक थे। IDFC ने 95,000 करोड़ रुपये, Axis Bank ने 1.8 लाख करोड़ रुपये, SBI रिसर्च ने 60,000 करोड़ रुपये और सुरजित भल्ला व राजेश शुक्ला ने 10 लाख करोड़ रुपये की संभावित हानि बताई थी। वहीं सरकार का अपना अनुमान 48,000 करोड़ रुपये था।
राज्यों के स्तर पर भी आंकड़े उत्साहजनक हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक ने अक्टूबर में 7,083 करोड़ रुपये की गिरावट का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक संग्रह में 10% की बढ़ोतरी हुई। पंजाब में 4%, तेलंगाना में 10% की वृद्धि हुई। पश्चिम बंगाल में केवल 1% और केरल में 2% की मामूली गिरावट हुई।
विशेषज्ञों का कहना है कि GST दरों में बदलाव के बाद राजस्व में अस्थायी कमी हो सकती है, लेकिन इसके बाद संग्रह सामान्य रूप से बढ़ जाता है। जुलाई 2018 और अक्टूबर 2019 के संशोधनों के समय भी ऐसा ही देखा गया था।
इससे यह स्पष्ट होता है कि GST दरों में सुधार के बावजूद केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व संग्रह में कोई बड़ी कमी नहीं हुई। संशोधित दरों के बाद अधिकांश राज्यों को लाभ ही हुआ है, जबकि केवल कुछ राज्यों में मामूली गिरावट देखी गई।
SBI की रिपोर्ट के अनुसार, GST संग्रह में हालिया बढ़ोतरी ने उन डर को बेबुनियाद साबित कर दिया है, जो राज्यों में राजस्व में गिरावट की आशंका के चलते सामने आए थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई राज्य, जिन्हें पहले नुकसान की संभावना बताई गई थी, उन्होंने वास्तविक में फायदा देखा:
SBI का कहना है कि कर्नाटक, पंजाब और तेलंगाना में असल में अच्छे संग्रह हुए, जबकि पश्चिम बंगाल और केरल में मामूली गिरावट अस्थायी मानी गई है।
राज्यवार प्रदर्शन:
सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य (अक्टूबर 2025, साल-दर-साल):
दिल्ली में –5% गिरावट देखी गई, जिसे विश्लेषकों ने उपभोग में संरचनात्मक बदलाव और कड़ी अनुपालन जांच से जोड़ा है।
पहले अनुमान क्यों गलत थे:
SBI ने तीन कारण बताए:
अक्टूबर में रिफंड ₹26,934 करोड़ (39.6% YoY बढ़ोतरी) बढ़ने के बावजूद, नेट रेवेन्यू ₹1.69 लाख करोड़ रहा। SBI का कहना है कि कुल रिफंड FY21 में ₹1.3 लाख करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹2.5 लाख करोड़ हो गया, फिर भी कुल रेवेन्यू मजबूत बना हुआ है।