देश के ऋण बाजार (बॉन्ड मार्केट) में इस समय हालात बेहतर हो गए हैं। इसका बड़ा कारण है कि अमेरिका के फेडरल बैंक (US Fed) ने ब्याज दरें घटाई हैं, और भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की उम्मीदें बढ़ी हैं। अक्टूबर महीने में विदेशी निवेशकों (एफपीआई) ने भारत सरकार के बॉन्ड में ₹13,397 करोड़ लगाए। यह रकम इस साल (वित्त वर्ष 2025-26) में अब तक की सबसे ज्यादा है। सितंबर में उन्होंने ₹8,333 करोड़ लगाए थे।
एक प्राइवेट बैंक के अधिकारी ने बताया, “विदेशी निवेशक (एफपीआई) फिर से बाजार में लौट आए हैं, क्योंकि भारत और अमेरिका के बॉन्ड पर ब्याज का फर्क (यील्ड स्प्रेड) अब बढ़कर 251 पॉइंट हो गया है। जून में यह फर्क 200 पॉइंट से भी कम था।” पिछले चार महीनों में विदेशी निवेशकों ने लगातार सरकारी बॉन्ड खरीदे हैं। लेकिन वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में उन्होंने काफी बॉन्ड बेच दिए थे।
भारत के 10 साल के सरकारी बॉन्ड और अमेरिका के 10 साल के बॉन्ड के बीच ब्याज का फर्क (यील्ड स्प्रेड) जून में 190 पॉइंट था, जो अक्टूबर में बढ़कर 251 पॉइंट हो गया। इसका मतलब है कि अब भारतीय बॉन्ड पर अमेरिका के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिल रहा है।
जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को पूरी तरह शामिल करने (मार्च 2025) की घोषणा के बाद, शुरू के कुछ महीनों में विदेशी निवेश घट गया था। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCIL) के आंकड़ों के मुताबिक –
अप्रैल में ₹11,145 करोड़,
मई में ₹12,317 करोड़,
और जून में ₹7,800 करोड़ की बिकवाली हुई।
यानी तीन महीनों में करीब ₹31,000 करोड़ का पैसा विदेशी निवेशकों ने निकाल लिया था।
एक दूसरे बाजार विशेषज्ञ ने बताया, “पहली तिमाही में अमेरिका के बॉन्ड पर ब्याज दरें बढ़ रही थीं, जबकि भारत में दरें नीचे जा रही थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आरबीआई ने बाजार में ज़्यादा पैसा डाला (लिक्विडिटी बढ़ाई) और ब्याज दरों में कटौती की।”
उन्होंने आगे कहा कि बाद में जब अमेरिका में दरें घटने लगीं और भारत में थोड़ी बढ़ीं, तो दोनों देशों के बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज का फर्क (यील्ड स्प्रेड) फिर से बढ़ गया। इस वजह से विदेशी निवेशक दोबारा भारतीय बाजार में लौट आए।
जेपी मॉर्गन ने सितंबर 2023 में बताया था कि भारतीय बॉन्ड को वह अपने उभरते बाजार इंडेक्स (Emerging Market Index) में शामिल करेगा। यह प्रक्रिया 28 जून 2024 से शुरू हुई और मार्च 2025 तक भारत को इसमें 10% हिस्सा (वेटेज) मिलेगा। इस दौरान, यानी जून 2024 से मार्च 2025 के बीच, फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) के तहत विदेशी निवेश ₹1.09 लाख करोड़ तक पहुंच गया। सितंबर 2023 से जून 2024 के बीच ही करीब ₹92,302 करोड़ का शुद्ध निवेश (नेट इनफ्लो) आया।
इससे पता चलता है कि निवेशकों ने पहले से ही तैयारी कर ली थी। उन्होंने अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करके इंडेक्स में शामिल होने से पहले ही फायदा उठाने की कोशिश की।