प्रमुख विदेशी खनन और रिफाइनिंग कंपनियों ने भारत सरकार को आश्वस्त किया है कि घरेलू स्तर पर दुर्लभ स्थायी मैग्नेट को बनाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत सफल बोलीदाताओं को आपूर्ति करने के लिए दुर्लभ खनिज ऑक्साइड का पर्याप्त भंडार होगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी मिली है। इन अंतरराष्ट्रीय खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में ब्रिटेन की रेनबो रेयर अर्थ्स और ऑस्ट्रेलिया की लिनास रेयर अर्थ्स और इलुका रिसोर्सेज शामिल हैं।
भारी उद्योग मंत्रालय इस योजना का नोडल मंत्रालय है। पीएलआई योजना पर अभी अंतर-मंत्रालय विचार-विमर्श किया जा रहा है। पीएलआई योजना के तहत निजी क्षेत्र की कंपनियों को करीब 7,350 करोड़ रुपये का आर्थिक प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया गया है। पात्र कंपनियों को सालाना कुल 6,000 टन दुर्लभ मैग्नेट क्षमता वाले पांच विनिर्माण कारखाने लगाने होंगे।
भारी उद्योग मंत्रालय के अनुमान के अनुसार 6,000 टन दुर्लभ मैग्नेट का उत्पादन करने के लिए लगभग 1,500 टन दुर्लभ अर्थ ऑक्साइड की आवश्यकता होगी। भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन आने वाली इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड इस ऑक्साइड का उत्पादन करती है। कंपनी बोली जीतने वाली फर्मों को 500 टन से अधिक दुर्लभ खनिज ऑक्साइड की आपूर्ति नहीं कर सकती है। इसलिए शेष 1,000 टन का आयात करना होगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘बीएचएईएल ने अनौपचारिक रूप से लगभग 20 विदेशी खनन और रिफाइनिंग फर्मों से यह जानने के लिए संपर्क किया है कि क्या वे पीएलआई के तहत बोली जीतने वाली फर्मों को दुर्लभ खनिज ऑक्साइड की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे। रेनबो रेयर अर्थ्स, लिनास रेयर अर्थ्स और इलुका रिसोर्सेज सहित कई ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि फर्मों ने बीएचईएल को बताया कि उनके पास कई वर्षों तक दुर्लभ खनिज ऑक्साइड की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त भंडार है और वे दीर्घकालिक आपूर्ति अनुबंधों करने को तैयार हैं।
व्यय विभाग ने चिंता जताई थी कि पीएलआई योजना भारत की आयात निर्भरता को तैयार मैग्नेट से दुर्लभ खनिज ऑक्साइड में स्थानांतरित कर सकती है। ऐसे में विदेशी फर्मों का आश्वासन व्यय विभाग की चिंता को दूर कर सकता है।
वर्तमान में चीन दुनिया का लगभग 90 फीसदी दुर्लभ मैग्नेट का उत्पादन करता है। चीन ने अप्रैल से दुर्लभ मैग्नेट के निर्यात को को प्रतिबंधित कर दिया है।
अधिकारी ने बताया कि इंडियन रेयर अर्थ्स ने भी हाल ही में अंतर-मंत्रालयी चर्चा के दौरान कहा कि वह दुर्लभ खनिज ऑक्साइड के उत्पादन को 500 टन से दोगुना करके लगभग 800-1,000 टन करने पर काम कर रहा है जिससे आयात की आवश्यकता घटकर 500 से 700 टन रह जाएगी।
रेनबो रेयर अर्थ्स, लिनास रेयर अर्थ्स और इलुका रिसोर्सेज को ईमेल किया गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।