अक्टूबर में एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) से सर्वाधिक लेनदेन की संख्या और मूल्य रहा। इस दौरान लेनदेन की संख्या 20.7 अरब और इसका मूल्य 27.28 लाख करोड़ रुपये था। यूपीआई में वृद्धि त्योहारी मौसम में कारोबारी गतिविधियां बढ़ने और जीएसटी 2.0 सुधारों के कारण हुआ।
इस साल सितंबर की तुलना में इस साल अक्टूबर में लेनदेन की संख्या 5 प्रतिशत और मूल्य 10 प्रतिशत अधिक था। इस साल अगस्त में लेनदेन की सर्वाधिक संख्या अगस्त में 20.008 अरब थी और इसका यूपीआई लेनदेन का सर्वाधिक मूल्य मई में 25.14 लाख करोड़ रुपये था। इसकी सितंबर में संख्या 19.63 अरब और मूल्य 24.9 लाख करोड़ रुपये था।
पे नियरबाई के संस्थापक, मुख्य कार्याधिकारी व प्रबंध निदेशक आनंद कुमार बजाज ने बताया, ‘इस त्योहारी मौसम में यूपीआई ने छोटे से लेकर बड़े व्यापारिक भुगतान और ग्राहक व स्थानीय कारोबारियों को भुगतान में मदद करने, आसान बनाने व वाणिज्य में प्रमुख भूमिका निभाई। भारत अब इस गति को आगे बढ़ा रहा है। स्थानीय खुदरा विक्रेताओं और सहायक डिजिटल नेटवर्कों के माध्यम से नए उपयोगकर्ताओं को आत्मविश्वास के साथ लेन-देन करने में मदद मिल रही है।’
इस महीने में तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) की संख्या सितंबर के 39.4 करोड़ से तीन प्रतिशत बढ़कर 40.4 करोड़ हो गई। हालांकि रोचक तथ्य यह है कि यह संख्या अगस्त में 47.7 करोड़ के आंकड़े को छू गया था। इसका मूल्य सितंबर के 5.98 लाख करोड़ रुपये से 8 प्रतिशत बढ़कर 6.42 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि आईएमपीएस से अगस्त में लेनदेन की संख्या 48.8 करोड़ और मूल्य 6.31 लाख करोड़ रुपये था।
फास्टैग की संख्या सितंबर 33.3 करोड़ से 8 प्रतिशत बढ़कर 36.1 करोड़ हो गया था। हालांकि यह संख्या अगस्त 37.1 करोड़ था। सितंबर के मूल्य 6,421 करोड़ रुपये से 4 प्रतिशत बढ़कर 6,686 करोड़ रुपये हो गया। अक्टूबर में आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) से लेनदेन सितंबर के 10.6 करोड़ से 6 प्रतिशत बढ़कर 11.2 लाख करोड़ रुपये हो गया।