भारतीय रिजर्व बैंक ने आज जारी अपनी ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ की रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था की कुल मांग में सुधार हो रहा है और मौद्रिक व कर्ज की स्थिति सतत आर्थिक सुधार के अनुकूल है, वहीं दूसरी छमाही में सरकार के व्यय की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
नवंबर के लिए रिजर्व बैंक की मासिक बुलेटिन के हिस्से के रूप में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक दशक के सबसे कम ब्याज दर, महंगाई दर कम होने और चालू खाते के घाटे के अधिशेष के समर्थन से भारत की अर्थव्यवस्था फिर से महामारी के दौरान खोई जमीन हासिल कर रही है और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों के रूप में फिर से उभर रही है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट के हिसाब के परिदृश्य के संकेतकों से पता चलता है कि कुल मिलाकर मांग पहले की तुलना में बेहतर रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आवाजाही तेजी से सुधर रही है। नौकरियों का बाजार ठीक हो रहा है और कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियां तेजी से सुधार के संकेत दे रही हैं।’ रिपोर्ट में आने वाले दिनों में भारत में तेजी के संकेत दिए गए हैं, भले ही प्रमुख केंद्रीय बैंकों में नीतियां सामान्य करने के जोखिम के बीच वैश्विक आर्थिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है, जिससे वित्तीय स्थिति में तंगी आएगी और वृद्धि पर असर पड़ेगा।
इसमें कहा गया है, ‘भारत की अर्थव्यवस्था साफ तौर पर अपने को वैश्विक स्थिति से अलग कर रही है, जहां विश्व के तमाम हिस्सों में आपूर्ति में व्यवधान, महंगाई में तेज बढ़ोतरी, संक्रमण में तेजी से खतरा बढ़ा है।’ उच्च आवृत्ति के संकेतकों से पता चलता है कि कुछ क्षेत्रों में रिकवरी आकार ले रही है, जबकि कुछ अन्य क्षेत्र अभी पीछे चल रहे हैं। विश्वास में धीरे धीरे बढ़ोतरी से आवाजाही बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा है कि नौकरियों के बाजार में उम्मीद बढ़ रही है और टीकाकरण तेज होने के कारण कारोबार में आशावाद का संचार हो रहा है। निर्यात धीरे धीरे सुधर रहा है, जबकि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का संग्रह तेज हुआ है।
बहरहाल घरेलू अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की रफ्तार असमान बनी हुई है। खरीफ सत्र में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, जबकि रबी सीजन में सकारात्मक स्थिति बनी हुई है।
इसमें कहा गया है कि कुल मिलाकर परिचालन के हिसाब से विनिर्माण क्षेत्र में सुधार नजर आ रहा है, जबकि सेवा क्षेत्र तेजी से विस्तार की राह पर है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के व्यय की गुणवत्ता सुधरी है।
