भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) में अधिशेष के रूप में 87,416 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए जाने के फैसले से केंद्र सरकार को राजकोषीय स्तर पर बड़ी राहत मिलेगी। शुक्रवार को बोर्ड की बैठक में इस राशि के बारे में फैसला किया गया, जो वित्त वर्ष 24 में केंद्र के गैर कर राजस्व में शामिल होगी। बजट में रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों व वित्तीय संस्थानों से 48,000 करोड़ रुपये अधिशेष/लाभांश मिलने का अनुमान लगाया गया था, जबकि सिर्फ रिजर्व बैंक का अधिशेष सरकार के लक्ष्य से 82 प्रतिशत ज्यादा है।
कर राजस्व, व्यय और नॉमिनल जीडीपी के अनुमान सहित अगर अन्य सभी बजट की अवधारणाएं यथावत रहें तो गणना से पता चलता है कि रिजर्व बैंक के अधिशेष की वजह से केंद्र का वित्त वर्ष 24 का राजकोषीय घाटा 16.99 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 5.6 प्रतिशत रह जाएगा। सरकार ने राजकोषीय घाटा 17.87 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक द्वारा ज्यादा अधिशेष हस्तांतरित करने की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा की बिक्री से हुई आमदनी है। रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद रुपये का उतार चढ़ाव रोकने के लिए डॉलर की बिक्री की थी।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में भारत की अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने शुक्रवार को कहा, ‘हमारे बेहतर प्रदर्शन (अधिशेष का) को बड़े पैमाने पर डॉलर की बिक्री से समर्थन मिला है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 (फरवरी 2023 तक) 206.4 अरब डॉलर की बिक्री की, जबकि वित्त वर्ष 22 में 96.7 अरब डॉलर की बिक्री की थी।
डॉलर की बिक्री से मिलने वाला राजस्व संभवतः उल्लेखनीय है क्योंकि डॉलर की कीमत ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। रिजर्व बैंक संभवतः जोखिम से बचने का कोष सिफारिश की गई सीमा के उपरी स्तर पर बरकरार रखेगा।’
बरहाल वित्त वर्ष अभी शुरू हुआ है और इस बात की संभावना है कि बजट में लगाए गए अन्य अनुमान सही साबित न हों। वैश्विक मंदी की स्थिति में भी भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर रहने का अनुमान लगाया गया है, वहीं अधिकारियों ने कहा कि भारत के पश्चिमी देशों के कारोबारी साझेदार देशों में मंदी के कारण व्यापार और कर राजस्व पर असर पड़ेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इसमें तमाम कुछ जाना अनजाना और कुछ अनजाना अनजाना मसला है। यह भी कहना जल्दबाजी होगी कि मौसम की स्थिति और मॉनसून का क्या असर होगा और केंद्र का ग्रामीण व्यय कितना रहेगा।’ सेनगुप्ता ने कहा, ‘राजकोषीय हिसाब से लाभांश से मिला अतिरिक्त राजस्व जीडीपी का 0.2 प्रतिशत है। बहरहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि निश्चित रूप से वित्त वर्ष 24 में राजसोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 प्रतिशत के अनुमान से कम होगा।’
सेनगुप्ता ने कहा कि विनिवेश की कार्रवाई को लेकर भी जोखिम है और यह बजट अनुमान से कम रह सकता है। यह पहला मौका नहीं है जब रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित अधिशेष केंद्र सरकार को दिया है। इसके पहले 2021 में 99,122 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए गए थे। यह राशि भी बजट अनुमान से 45,611 करोड़ रुपये ज्यादा थी, जब रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से वित्त वर्ष 22 में 53,510.6 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया गया था।
लेकिन रिजर्व बैंक ने आर्थिक पूंजी ढांचे पर बनी विमल जालान समिति की सिफारिशों के मुताबिक सबसे ज्यादा धन 2019-20 में 1.23 लाख करोड़ रुपये दिया था। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने प्रावधानों से अतिरिक्त भी 52,637 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए थे।