केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों और विभागों से उद्योगों के लिए अनुपालन बोझ और कम करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए उद्योगों को और जोखिम उठाने और क्षमता निर्माण में निवेश करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जिससे कि नौकरियों के अवसर बढ़ें और आयात पर निर्भरता कम हो सके।
सीतारमण ने सीआईआई वैश्विक आर्थिक नीति सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं उद्योग से अपील करती हूं कि वह क्षमता बढ़ाने में अब और देर न करे। नए क्षेत्रों की तलाश करें और ऐसे साझेदार खोजने में देरी नहीं होनी चाहिए, जो आपको नई तकनीक दे सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि उद्योग को और ज्यादा जोखिम लेना चाहिए और भारत की वृद्धि में अतिरिक्त योगदान देना चाहिए क्योंकि देश तेज वृद्धि की ओर देख रहा है।
सीतारमण ने कहा, ‘जब भारत की नजर वृद्धि तेज करने पर लगी है, उस समय मैं चाहती हूं कि भारतीय उद्योग अधिक जोखिम उठाएं और भारत की चाहत को समझें।’
उन्होंने उद्योग से यह भी अपील की कि उद्योग को नौकरियों की पेशकश और आय में अमानता दूर करनी चाहिए। उद्योग को तैयार सामान के आयात में कटौती पर जोर देना चाहएि और विनिर्माण में निवेश तेज करना चाहिए।
सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा है कि वे अपने संबंधित मंत्रालयों व विभागों में उद्योग के अनुपालन बोझ को चिह्नित करें और उन्हें सरल करें।
उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा उद्योग की बाधाएं खत्म करने का है और वह सिर्फ 1500 पुराने कानूनों को खत्म करके रुकी नहीं है। सीतारमण ने यह भी कहा कि बैंकिंग उद्योग में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है और ज्यादा रिकवरी के साथ गैर निष्पादित संपत्तियां कम होने लगी हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों ने बाजार से 10,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं और अब धन के लिए सरकार की तरफ नहीं देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बैंकों ने क्रेडिट आउटरीच प्रोग्राम के माध्यम से दीवाली को समाप्त 3 सप्ताह में बैंकों ने 5 वि भिन्न श्रेणियों में कुल 75,000 करोड़ रुपये उधारी दी है। उन्होंने कहा, ‘भारत ने दुनिया को दिखाया है कि कि विकासशील देश तेजी से रिकवरी कर सकता है और दो अंकों के नजदीक वृद्धि दर हो सकती है।’
उन्होंने कहा कि भारत सौर और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों की ओर बढ़ रहा है और यह लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है, जब सभी हिस्सेदार इसके लिए प्रतिबद्ध हों।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन की मांग नहीं बढ़ी है, लेकिन कच्चे तेल के दाम की वजह इसका आयात बिल उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है और इसके कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि दाम कम होंगे।
