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मोहाली में सेमीकंडक्टर लैब के बदलेंगे दिन, करीब 1.2 अरब डॉलर खर्च करेगी सरकार

Last Updated- May 12, 2023 | 11:12 PM IST
Semiconductor

सरकार मोहाली में सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL) के आधुनिकीकरण पर करीब 1.2 अरब डॉलर खर्च करेगी। करीब 40 साल पुरानी SCL इस समय 8 इंच CMOS माइक्रोचिप वेफर्स बनाती है, जिसका इस्तेमाल ज्यादातर भारत के रणनीतिक महत्त्व के कार्यों जैसे अंतरिक्ष कार्यक्रम में होता है।

केंद्र सरकार ने 2021 में 10 अरब डॉलर के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की घोषणा की थी, इसी के तहत इसके आधुनिकीकरण और वाणिज्यीकरण की योजना बनी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2022 में आधुनिकीकरण योजना को मंजूरी दी थी, जिसमें एससीएल के साथ एक या एक से अधिक वाणिज्यिक साझेदारों के साथ संयुक्त उद्यम की संभावना की तलाश शामिल है। बहरहाल सरकार ने इस परियोजना की अनुमानित समयसीमा नहीं दी है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय की ओर से जारी आवेदन प्रस्ताव के मुताबिक इसके आधुनिकीकरण का मकसद एससीएल में इस तरह का बदलाव करना है, जिससे कि इस इकाई में उत्पादन बढ़ सके और यह एक लाभकारी संपत्ति बन सके।

मंत्रालय एससीएल की सेमीकंडक्टर उत्पादों की डिजाइन, फैब्रिकेशन, टेस्टिंग और पैकेजिंग क्षमता का भी विस्तार करना चाहता है। साथ ही इसका मकसद प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना और इसे लागत के अनुकूल बनाना भी है।

इस इकाई से 1984 में उत्पादन शुरू हुआ। उसके बाद 1989 में लगी आग के बाद फैक्टरी तहस नहस हो गई और उसके बाद इसे कभी पूरी क्षमता से नहीं चलाया जा सका। इसके बावजूद यह सरकार का एकमात्र संयंत्र है, जहां मंगलयान जैसी अहम परियोजनाओं के लिए चिप तैयार किया जाता है।

दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया फ्चूयर डिजाइन रोडशो के दौरान केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह शोध के लिए वातावरण तैयार करेगा और उन्नयन के बाद यहां सेमीकंडक्टर बनाने की क्षमता बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि इंडिया सेमीकंडक्टर रिसर्च सेंटर जल्द ही अत्याधुनिक रिसर्च केंद्र बनेगा,जो आईआईटी जैसे शैक्षणिक संस्थानों की श्रेणी में होगा और परिसर में उत्कृष्ठता केंद्र तैयार करेगा।

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सरकार का अनुमान है कि भारत में सेमीकंडक्टर बाजार 22 प्रतिशत सालाना चक्र वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा और यह वैश्विक बाजार के 10 प्रतिशत तक यानी 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 2020 में इसका बाजार 1.25 लाख करोड़ रुपये का रहा है।

चंद्रशेखर ने कहा, ‘विनिर्माण, डिजाइन और नवोन्मेष में हम अपनी इलेक्ट्रॉनिक क्षमता उल्लेखनीय रूप से बढ़ा रहे हैं। अगले 10 साल में हम उतना हासिल करना चाहते हैं, जितना इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर में चीन ने 30 साल में हासिल किया है।’

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सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने में भारी निवेश की जरूरत होती है और इसके लिए उचित बुनियादी ढांचा जैसे बाधारहित बिजली की आपूर्ति और साफ पानी अहम है।

जटिल तकनीक केंद्रित इस क्षेत्र में भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी अवधि और तकनीक मे बदलाव की जरूरत होती है, जिसमें ज्यादा और टिकाऊ निवेश की जरूरत होती है।

मंत्री ने कहा कि सरकार की सेमीकंडक्टर डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से अब तक 27 स्टार्टअप जुड़े हैं और स्टार्टअप के लिए इस सेक्टर में बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। आईआईटी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में कुछ प्रमुख टेक फर्मों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

सिकोया कैपिटल ने सेमीकंडक्टर केंद्रित स्टार्टअप में अपने दूसरे निवेश की घोषणा की है। भारत में आरआईएसई-5 प्रॉसेसर कोर बना रही एनकोर सेमीकंडक्टर्स ने सिकोया कैपिटल इंडिया से30 करोड़ डॉलर शुरुआती धन जुटाया है।

First Published - May 12, 2023 | 11:12 PM IST

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