प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी बोइंग को चिंता है कि गो फर्स्ट मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) के आदेश से पट्टों पर लिए गए विमानों के किराये पर असर पड़ सकता है। NCLT के फैसले के बाद पट्टा कंपनियों के लिए दिवालिया विमानन कंपनी गो फर्स्ट के विमानों पर कब्जा करना आसान नहीं होगा।
विमानन विश्लेषण फर्म सिरियम के आंकड़ों के अनुसार 3 मई तक भारतीय विमानन कंपनियों के कुल 673 वाणिज्यिक विमानों में करीब 88 फीसदी विमान पट्टे पर लिए गए हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय विमानन कंपनियां पट्टे के किराये पर मोटी रकम खर्च करती हैं।
NCLT के आदेश से पहले 10 मई को पट्टा कंपनियों ने गो फर्स्ट के 55 विमानों में से 40 से अधिक पर कब्जा करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) में आवेदन दिया था। कम से कम तीन पट्टा कंपनियों ने NCLT के 10 मई के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधिक अपील पंचाट (NCLAT) में याचिका डाली है। इनमें एसएमबीसी एविएशन कैपिटल, एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स और जीवाई एविएशन लीज शामिल हैं।
NCLT के आदेश के कारण भारतीय विमानन कंपनियों के लिए विमान का पट्टा किराया बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर बोइंग कमर्शियल एयरप्लेन्स के उपाध्यक्ष रायन वेयर ने कहा, ‘इस संबंध में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। मगर हमें चिंता है कि यह आदेश बरकरार रहा तो पट्टा किराये पर उसका क्या असर होगा।’
उन्होंने कहा, ‘पट्टा कंपनियों को संतुष्ट करने के लिए भारत को कानून के रास्ते केपटाउन संधि आगे बढ़ानी चाहिए और कामकाजी तंत्र तैयार करना चाहिए। दूसरे देशों में यह कारगर कदम रहा है। संधि पूरी तरह स्वीकार किए जाने पर भारत में भी ऐसा ही होगा। इससे पट्टा कंपनियां अपनी महंगी संपत्तियां भारत में किराये पर देने में हिचकेंगी नहीं।’
भारत ने 2008 में केप टाउन संधि (CTC) और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए थे। यह विमान पट्टा कंपनियों और फाइनैंसरों के लिए जोखिम कम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि है। भारत ने 2018 में सीटीसी लागू करने के लिए विधेयक पेश किया था। उसके बाद 2022 में नया विधेयक पेश किया गया लेकिन वह अब तक पारित नहीं हो सका है।
वेयर ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि उसका (गोफर्स्ट घटनाक्रम का) क्या प्रभाव पड़ेगा। यह विमानन कंपनी, पट्टा कंपनी और यात्रियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अदालत के फैसले का असर समझने के लिए अपने ग्राहकों के साथ काम कर रहे हैं। हम पट्टा कंपनियों की राय भी जानने की कोशिश कर रहे हैं।’ भारत में उड़ने वाले करीब 20 फीसदी वाणिज्यिक विमान बोइंग ने ही बनाए हैं।
Also read: Go First insolvency: विमानों पर यथास्थिति चाहते हैं पट्टादाता, सोमवार को NCLT में अगली सुनवाई
अलाभकारी संगठन एविएशन वॉच ग्रुप (एडब्ल्यूजी) ने गो फर्स्ट के विमानों के पट्टे समाप्त होने पर उनका पंजीकरण रद्द करने में विफल रहने पर भारत को नकारात्मक संभावना के साथ निगरानी सूची में डाल दिया है। उसने गो फर्स्ट के अंतरिम समाधान पेशेवर अभिलाष लाल और नागर विमानन मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। उसने कहा है कि दिवालिया प्रक्रिया की सूरत में 60 दिनों के भीतर विमान पट्टा फर्मों को लौटाए जाने चाहिए।
NCLT में दिवालिया आवेदन दायर करने के बाद 3 मई से गो फर्स्ट की सभी उड़ानें बंद हैं।