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Go First insolvency: विमानों पर यथास्थिति चाहते हैं पट्टादाता, सोमवार को NCLT में अगली सुनवाई

Last Updated- May 12, 2023 | 10:44 PM IST
Go First flights to remain cancelled till May 30, full refund to be issued
PTI

गो फर्स्ट (Go First) की पट्टादाता ने शुक्रवार को नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (NCLT) को बताया कि वह विमान पर यथास्थिति चाहती है, जिसका कब्जा अभी विमानन कंपनी के पास है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी किसी भी काम के लिए विमान को छू नहीं सकता जब तक कि ट्रिब्यूनल अंतिम फैसला न दे दे। अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

एसएमबीसी एविएशन कैपिटल के वकील अरुण कठपालिया ने कहा, गो एयर का दिवालिया आवेदन दुर्भावनापूर्ण और गुमराह करने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि गो फर्स्ट के कब्जे वाला विमान उनकी परसंपत्तियां हैं, जहां तक हम पहुंच नहीं पा रहे। वे हमारी परिसंपत्ति अपने पास रखने के लिए NCLT के आदेश का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दिवालिया संहिता का मकसद नहीं है।

उन्होंने दलील दी कि हमारी बात सुनने के लिए हमें उचित वक्त नहीं दिया गया। हमारा 700-800 करोड़ रुपये बकाया है। हमें IBC की धारा 65 के तहत आवेदन करने के लिए उचित समय दिया जाए।

अदालत ने कहा, इस समय आप किस तरह का अंतरिम आदेश चाहते हैं? इसके लिए सुनवाई की दरकार है।

Also Read: Go First को पटरी पर लाने की कवायद

इस पर कठपालिया ने कहा, अभी हम विमान पर यथास्थिति चाहते हैं। अगर गो फर्स्ट उड़ान नहीं भर सकती तो विमान अपने पास क्यों​ रखा हुआ है। एक विमान की रखरखाव लागत 2 लाख डॉलर है और 50 विमानों की 1 करोड़ डॉलर।

इस बीच, अंतरिम समाधान पेशेवर के वकील ने कहा, दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ NCLT में आवेदन नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसे आवेदन दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद दाखिल किए जा सकते हैं।

इस पर कठपालिया ने कहा, अगर वे विमान को किसी अन्य के लिए कलपुर्जे के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे तो हम कहां जाएंगे?

इस बीच, गो फर्स्ट ने अपील ट्रिब्यूनल को कहा कि NCLT का आदेश आने तक वित्तीय लेनदारों के भुगतान में किसी तरह की चूक नहीं हुई, लेकिन अब 11 करोड़ रुपये की चूक हो चुकी है।

First Published - May 12, 2023 | 8:38 PM IST

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