गो फर्स्ट (Go First) के मुख्य कार्याधिकारी कौशिक खोना और राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर अभिलाष लाल ने आज विमानन कंपनी के कर्मचारियों से मुलाकात की और गो फर्स्ट को पटरी पर लाने के लिए उनसे मदद करने को कहा। खोना ने कहा कि कंपनी ने पुनरुद्धार के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं, वहीं लाल ने कहा कि विमानन कंपनी के परिचालन को बहाल करने के लिए धन जुटाना होगा। एनसीएलटी द्वारा गो फर्स्ट के दिवालिया आवेदन को स्वीकार किए जाने और बकाया वसूली पर मॉरेटोरियम का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद अधिकारियों ने कंपनी के कर्मचारियों से मुलाकात की।
लाल ने कर्मचारियों के साथ वर्चुअल बैठक में कहा, ‘हम बहुत ही सीमित समयसीमा में काम कर रहे हैं। हमें कारोबार को वापस पटरी पर लाना है। इसके लिए हमें पैसे जुटाने होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पास पास योग्य लोग हैं जो इस कंपनी को चला रहे हैं और सबसे जरूरी यह कि अब तक किए गए बेहतरीन काम को जारी रखना होगा।’
गो फर्स्ट ने नागर विमानन मंत्रालय को संकेत दिया है कि वह दो हफ्ते में परिचालन शुरू करने में सक्षम हो सकती है। परिचालन बंद करने से पहले कंपनी 27 विमानों के साथ रोजाना 200 उड़ानें संचालित कर रही थी।
कंपनी की योजना अब उपलब्ध जमा और आने वाली नकदी के भरोसे परिचालन शुरू करने की है। इसके साथ ही कंपनी को अपने पायलटों, कैबिन क्रू और इंजीनियरों को साथ बनाए रखना होगा क्योंकि प्रतिस्पर्धी कंपनियों से उन्हें नौकरी के प्रस्ताव मिल रहे हैं। पायलटों को नौकरी छोड़ने के लिए छह महीने का नोटिस देना होता है लेकिन एयर इंडिया ने पिछले नियोक्ता से कंपनी छोड़ने की अनुमति पत्र के बिना भी पायलटों को नियुक्त करने की पेशकश की है।
खोना ने कहा, ‘मुझे अपनी टीम पर गर्व है और मुझे पूरा भरोसा है कि आप गो फर्स्ट को जल्द ही सबसे बेहतरीन विमानन कंपनी बनाने की प्रक्रिया में सहयोग देते रहेंगे।’ ऋणशोधन अक्षमता समाधान पेशेवर आलोक कुमार अग्रवाल के अनुसार दिवालिया प्रक्रिया के दौरान परिचालन बहाल करने के लिए गो फर्स्ट बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों या तीसरे पक्ष से भी अंतरिम तौर पर आर्थिक मदद मांग सकती है।
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यह राहत कर्ज के तौर पर दी जाती है और इसे कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया की लागत में शामिल किया जाता है। इसलिए समाधान योजना में इसे अन्य ऋणों में प्राथमिकता दी जाती है।
इस बीच गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनी एसएमबीसी कैपिटल ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) में कहा कि गो फर्स्ट द्वारा दिवालिया याचिका दायर करने का मकसद पट्टा फर्मों की ओर से विमानों को कब्जे में लेने से रोकना है। मॉरेटोरियम मिलने से पट्टा कंपनियां अपने विमान वापस नहीं ले पाएंगी।
एसएमबीसी का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील अरुण कठपालिया ने कहा कि पट्टा कंपनियों ने दिवालिया आवेदन स्वीकार किए जाने से पहले ही विमान का पट्टा निलंबित कर दिया था। उन्होंने अपील पंचाट से आग्रह किया कि संपत्तियों पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए।