भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के बेहद करीब पहुंच गए हैं और जल्द ही समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। दोनों पक्ष प्रस्तावित समझौते के कानूनी पहलुओं पर काम शुरू कर चुके हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन में पिछले सप्ताह हुई वार्ता के अंतिम दौर के बाद दोनों पक्षों में ज्यादातर मुद्दों पर सहमति दिख रही है। इससे संकेत मिलता है कि लंबे समय से अटके इस व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। मगर वह राजनीतिक स्तर पर अंतिम मंजूरी पर भी निर्भर करेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘ज्यादातर मुद्दों पर हमारी सहमति बन चुकी है। हम समझौते के बेहद करीब पहुंच चुके हैं। अब कोई खास मतभेद (दोनों पक्षों के बीच) नहीं रह गया है और बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। जहां तक कृषि जैसे पिछले विवादास्पद मुद्दों का सवाल है तो हम कुछ साझा आधार तलाश रहे हैं।’
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत के संदर्भ में गुरुवार को कहा था कि भारत ‘सिर पर बंदूक रखने’ जैसी परिस्थति में व्यापार समझौते नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा कि कई भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा 50 फीसदी शुल्क लगाए जाने के मसले पर कुछ स्वीकार्यता है। गोयल ने जर्मनी में बर्लिन डायलॉग के दौरान कहा, ‘हम निश्चित तौर पर अमेरिका से बात कर रहे हैं। हम जल्दबाजी में सौदे नहीं करते हैं। साथ ही हम सिर पर बंदूक रखने जैसी किसी समय-सीमा में बंधकर भी सौदे नहीं करते हैं। भारत की सोच दीर्घकालिक है और इसलिए वह कभी भी जल्दबाजी में या समय के दबाव में निर्णय नहीं लेता है। हमने स्वीकार किया है कि अगर हम पर शुल्क लगाया गया है तो लगाया गया है। हम विचार कर रहे हैं कि इससे कैसे निपटा जाए। हम नए बाजारों की तलाश कर रहे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर जबरदस्त मांग पैदा करने के लिए उपाय कर रहे हैं।’
अगस्त में अमेरिका ने भारत को एक बड़ा झटका देते हुए कई भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 फीसदी का भारी शुल्क लगा दिया था। इसमें रूसी तेल खरीदने के लिए जुर्माने के तौर पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। भारत शुल्क में कटौती के लिए अमेरिका के साथ कड़ी सौदेबाजी कर रहा है। इसमें न केवल 25 फीसदी दंडात्मक शुल्क को हटाना बल्कि जवाबी शुल्क को भी घटाकर 15 फीसदी के दायरे में लाना शामिल है। भारत शुल्क को अपने एशियाई प्रतिस्पर्धियों से कम करने पर जोर दे रहा है।
फिलहाल दोनों देश एक व्यापक समाधान पर बातचीत कर रहे हैं ताकि द्विपक्षीय व्यापार समझौते में लंबित मुद्दों को निपटाया जा सके। साथ ही भारत द्वारा रूसी तेल की लगातार खरीद पर अमेरिका की चिंताओं को भी दूर किया जा सके।
अधिकारी ने विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि कुछ गैर-शुल्क बाधाओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाया जाना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि उन मुद्दों पर अभी भी चर्चा चल रही है। उदाहरण के लिए, अमेरिका इस बात को लेकर चिंता जता रहा है कि भारत के क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (क्यूसीओ) अमेरिकी निर्यातकों के लिए गैर-शुल्क बाधाएं पैदा कर रहे हैं।
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फिलहाल दोनों पक्षों की टीमें वर्चुअल माध्यम से बातचीत कर रही हैं। अगले दौर की आमने-सामने की वार्ता की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
पिछले सप्ताह वाणिज्य विभाग के अधिकारियों की एक टीम प्रस्तावित व्यापार समझौते को जल्द निष्कर्ष पर पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए वाशिंगटन में थी। इसमें वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल भी शामिल थे। बातचीत पिछले सप्ताह के आखिर में खत्म हुई और सप्ताहांत में टीम वापस आ गई।
हालिया दौर में हुई प्रगति करने के बावजूद दोनों पक्ष समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पाए हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अगले सप्ताह 47वें आसियान शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। मगर गुरुवार को मोदी ने कहा कि वह वर्चुअल मध्यम से इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ऐसे में ट्रंप के साथ आमने-सामने की बैठक की संभावना नहीं है।