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आपूर्ति के झटकों से महंगाई अनुमान के मुताबिक न रहने का जोखिम: RBI गवर्नर

एक और बाहरी सदस्य राजीव रंजन ने बाहरी झटकों पर नजर रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहा कि हमें जोखिम से सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है।

Last Updated- October 20, 2023 | 10:49 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई दर को प्रभावित करने वाले बड़े और आपूर्ति के व्यापक झटकों की बार बार होने वाली घटनाओं से मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता को जोखिम है। साथ ही उन्होंने दोहराया कि मौद्रिक नीति की सतर्कता और आवश्यक होने पर कदम उठाने की जरूरत है।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्योरे के मुताबिक दास ने कहा, ‘बार बार लगने वाले आपूर्ति के झटकों से महंगाई के उतार चढ़ाव की घटनाएं सामान्य हो जाती हैं, जिससे मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता को संभावित रूप से हानि पहुंचने और महंगाई अनुमान के मुताबिक न रहने का जोखिम बढ़ता है।’ उन्होंने कहा कि मुख्य लक्ष्य महंगाई दर को 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर लाना और इसे उम्मीद के अनुरूप रखना है।

यह देखते हुए कि खुदरा महंगाई कोविड-19 के बाद से 3 महीने और 1 साल आगे के हिसाब से एक अंक में चली गई है, दास ने कहा कि मौद्रिक नीति को सक्रियता से महंगाई दर में कमी व आगे इसे सुचारु रूप से संचालित रखने के रुख पर सक्रियता से बने रहने की जरूरत है।

डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने इस बात पर जोर दिया कि कीमत में स्थिरता के बगैर वृद्धि टिकाऊ नहीं रह सकती है क्योंकि क्रय शक्ति की कमी रहने से जीडीपी विस्तार और रोजगार का लाभ नहीं मिल सकेगा।

पात्र ने कहा, ‘कीमत में स्थिरता मुख्य है। इसी से सभी जोखिमों से बचा जा सकता है और वृद्धि के सभी मकसद पूरे हो सकते हैं।’

एक और बाहरी सदस्य राजीव रंजन ने बाहरी झटकों पर नजर रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहा कि हमें जोखिम से सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है, चाहे वह चल रही घटनाओं से हों, या ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक कीमतों की वजह से।’

समावेशी रुख वापस लेने के खिलाफ मत देने वाले एकमात्र व्यक्ति और बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने कहा कि लगातार चली बैठकों में दरों को अपरिवर्तित रखते हुए समावेशी रुख वापस लेने की बात की गई है, जबकि ऐसे में दरों में वास्तव में कोई बदलाव न करने से एमपीसी की विश्वसनीयता नहीं बढ़ती है।

वर्मा ने कहा, ‘मैं ऐसे रुख को प्राथमिकता दूंगा, जिसमें कहे के मुताबिक कार्रवाई हो। इस वक्त यह ध्यान देने की जरूरत है कि कितने लंबे वक्त तक दरों को उच्च स्तर पर बरकरार रखा जा सकता है।’

एक अन्य बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि निवेश बहाल होने के संकेत मिल रहे हैं और इसे सतत बनाए रखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘2011 और 2017 के बीच तेज वित्तीय सख्ती की वजह से इस तरह की बहाली की उम्मीद धूमिल हो गई और इससे मंदी आई। ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसे सतत बनाए रखा जाए। इस बार ज्यादा उधारी या बुनियादी ढांचे में तेजी नहीं है, बल्कि स्वस्थ और क्रमिक वृद्धि हो रही है।

First Published - October 20, 2023 | 10:49 PM IST

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