खाने-पीने की वस्तुओं और ईंधन उत्पादों की कीमतें नरम पड़ने तथा उच्च आधार की वजह से मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 25 माह के निचले स्तर 4.25 फीसदी पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास लंबे समय तक नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने की गुंजाइश बढ़ी है। इस बीच खान और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की बदौलत औद्योगिक उत्पादन में भी अप्रैल में सुधार हुआ है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में कम होकर 4.25 फीसदी रही, जो अप्रैल में 4.70 फीसदी थी।
खाद्य, ईंधन, कपड़े और सेवाओं की कीमतों में नरमी की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने आरबीआई के सहज स्तर के दायरे में रही। आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति 2 फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।
इस बीच औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अप्रैल में 4.2 फीसदी बढ़ा, जो मार्च में 1.1 फीसदी बढ़ा था। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 4.9 फीसदी और खनन में 5.1 फीसदी की बढ़ोतरी से आईआईपी को बन मिला। बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 1.1 फीसदी की गिरावट आई है।
खाद्य पदार्थों की महंगाई की बात करें तो मई में यह घटकर 2.91 फीसदी रह गई जो अप्रैल में 3.4 फीसदी थी। दालों, फलों और गैर-अल्कोहल वाले पेय पदार्थों के दाम कम होने से खाद्य पदार्थों की महंगाई घटी है। सब्जियों, मांस-मछली आदि के दाम में भी इस दौरान गिरावट आई है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाने-पीने की चीजों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति में उम्मीद से ज्यादा की कमी आई है लेकिन मॉनसून के सामान्य से कम रहने की आशंका से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने की चिंता बनी हुई है।
आईआईपी की बात करें तो कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में लगातार पांचवें महीने 3.5 फीसदी की कमी आई, जो ग्राहकों की कमजोर मांग का संकेत है। एक साल पहले इस क्षेत्र का उत्पादन 7.2 फीसदी बढ़ा था। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अप्रैल में 10.7 फीसदी बढ़ा है। 23 विनिर्माण क्षेत्र में से केवल 12 क्षेत्र का उत्पादन ही अप्रैल में बढ़ा है।