खुदरा मुद्रास्फीति में पिछले चार महीने से आ रही नरमी थम गई और त्योहारी मांग की वजह से अक्टूबर में यह बढ़कर 4.48 फीसदी पहुंच गई। सितंबर में खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.35 फीसदी थी। गैर-खाद्य तथा गैर-तेल पदार्थों की महंगाई जिसे मुख्य मुद्रास्फीति कहते हैं, वह 5.8 फीसदी पर रही। अगस्त और सितंबर में यह 5.6 फीसदी थी। वित्त मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में भी मुख्य मुद्रास्फीति में तेजी पर चिंता जताई गई थी।
आम तौर पर मुख्य मुद्रास्फीति पर ही भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की नजर रहती है क्योंकि खाद्य पदार्थों और ईंधन के दाम में अनिश्चितता बनी रहती है। हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मौद्रिक नीति समिति धीरे-धीरे अपनी नीति को सामान्य बनाएगी।
शहरी इलाकों में मुद्रास्फीति बढ़ी है जबकि ग्रामीण इलाकों में उपयोग होने वाली चीजों के दाम कम हुए हैं। शहरी इलाकों में मुद्रास्फीति दर बढ़कर 5.04 फीसदी पहुंच गई और ग्रामीण इलाकों में यह 4.13 फीसद से घटकर 4.07 फीसदी रह गई। मुख्य मुद्रस्फीति करीब एक साल से 5.5 से 5.9 फीसदी के दायरे में बनी हुई है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘कपड़ों और जूते-चप्पलों के साथ ही गैर-जरूरी चीजों के दाम बढ़े हैं जो मांग में सुधार आने का संकेत है और उत्पादकों ने बढ़ी लागत का कुछ भार ग्राहकों पर डाला है। यही वजह है कि मुख्य मुद्रास्फीति में इजाफा हुआ है।’ अक्टूबर में कपड़ों से संबंधित मुद्रास्फीति 7.16 फीसदी से बढ़कर 7.39 फीसदी हो गई।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि जनवरी से कपड़ों पर वस्तु एवं सेवा कर में इजाफा होने की उम्मीद है। इससे इस सेगमेंट की मुद्रास्फीति में और इजाफा होगा। व्युत्क्रम शुल्क ढांचे को ठीक करने के जीएसटी परिषद के निर्णय से जनवरी से परिधान और जूते-चप्पलों पर जीएसटी मौजूदा 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी होने का अनुमान है।
सबनवीस ने कहा कि गैर-जरूरी श्रेणी में पर्सनल केयर उत्पादों और घरेलू वस्तुओं से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है क्योंकि अधिकतर कंपनियों ने बढ़ती लागत को देखते हुए अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने की घोषणा की है। इससे आगे मुद्रास्फीति और बढ़ेगी। अक्टूबर में पर्सनल केयर उत्पादों की मुद्रास्फीति 1.91 फीसदी से बढ़कर 2.49 फीसदी हो गई।
स्वास्थ्य क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर 7.74 फीसदी से घटकर 7.57 फीसदी रह गई लेकिन अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि इस क्षेत्र की मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इंडिया रेटिंग्स के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील के सिन्हा ने कहा कि स्वास्थ्य मुद्रास्फीति संरचनात्मक होने से तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5 फीसदी के आसपास पहुंच सकती है।
