शिवा राजौराभारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर अप्रैल में और कम होने की संभावना है। इस तरह से यह लगातार तीसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत से नीचे रहने के लक्ष्य के भीतर रहने जा रही है। विभिन्न वस्तु श्रेणी, खासकर खाद्य वस्तुओं की कीमत कम होने के कारण महंगाई दर में गिरावट की उम्मीद की जा रही है।
इससे रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की जून में होने वाली द्विमासिक समीक्षा बैठक में रीपो दर में और कटौती पर विचार करने का एक और अवसर खुल सकता है। मार्च में खुदरा महंगाई दर 3.34 प्रतिशत थी, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) सोमवार को अप्रैल के सीपीआई के आंकड़े जारी करेगा। रिजर्व बैंक ने अप्रैल में हुई पिछली बैठक में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत रहेगी, जो पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 3.6 प्रतिशत के निचले स्तर रहने की संभावना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि खुदरा महंगाई दर 3 प्रतिशत पर आने की संभावना है, जिसमें मुख्य भूमिका खाद्य महंगाई दर की होगी। इन आंकड़ों से रिजर्व बैंक को जून की नीतिगत बैठक में आगे और रुख नरम करने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘खाद्य महंगाई दर खासकर टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) की कीमत में उतार चढ़ाव से राहत है और इससे खुदरा महंगाई से राहत मिल रही है। आपूर्ति अभी कम महंगाई दर के पक्ष में है। टमाटर, प्याज और आलू उत्पादक प्रमुख राज्यों में लू के थपेड़ों से भी अभी राहत है। इसकी वजह से सामान्य से अधिक संभावित गर्मी से राहत मिली है और इससे महंगाई दर से थोड़ी और राहत रहेगी।’इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए इंडिया रेटिंग्स में वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराय ने कहा कि अप्रैल में खुदरा महंगाई घटकर 3.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, क्योंकि खाद्य महंगाई दर का परिदृश्य निकट अवधि के हिसाब से सकारात्मक है।
उन्होंने कहा, ‘बहरहाल प्रमुख महंगाई दर का थोड़ा दबाव बन रहा है। यह अप्रैल में करीब 4 प्रतिशत रह सकता है। हालांकि ऊर्जा, धातु और कृषि कमोडिटी बास्केट में कीमतों में तेज गिरावट आई है, जो इसे नियंत्रण में रखेगा।’इसके पहले अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रीपो दर 25 आधार अंक घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है, जो नीतिगत दर में लगातार दूसरी बड़ी कटौती है।