facebookmetapixel
IVF कंपनियां AI से घटाएंगी इलाज की लागत, भ्रूण और शुक्राणु चयन में सटीकता से सफलता दर होगी अधिकजुलाई में भारत का कपड़ा निर्यात 9% बढ़ा, अमेरिका के ब्रांड छूट पर ऑर्डर बरकरार रखने को हुए तैयारनवीन जिंदल बोले: सितंबर तक कमजोर रहेगी इस्पात की मांग, मगर अक्टूबर से दिखेगा तेज उछालट्रंप के टैरिफ झटकों ने भारत को दूसरी पीढ़ी के सुधारों की ओर धकेलाभारत के मास मार्केट संभावनाओं को खोलने के लिए जरूरी है रचनात्मक नीतिगत पहलEditorial: सरकार ने जीएसटी सुधार और रणनीतिक विनिवेश को दिया नया जोरEPAM Systems के नए CEO बोले: कंपनी लगा रही AI पर बड़ा दांव, ग्राहकों की जरूरतों पर रहेगा फोकसVinFast के CEO का बड़ा बयान: कंपनियों की रफ्तार से मेल नहीं खाती भारत की EV पॉलिसी मेकिंग प्रोसेसMHI का आदेश: GST कटौती के बारे में नई गाड़ियों पर पोस्टर लगाएं, उसपर PM मोदी की तस्वीर भी होनी चाहिएMahindra and Mahindra ने डीलरों को कंपनसेशन सेस के झटके से बचाया, GST 2.0 से बिक्री पर असर

RBI केंद्र सरकार को देगा 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश, देसी-विदेशी संप​त्तियों से हुई जबरदस्त आय

रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में बतौर लाभांश अब तक की सबसे अधिक रकम दिए जाने का फैसला लिया गया।

Last Updated- May 22, 2024 | 10:11 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश सौंपेगा। रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में आज बतौर लाभांश अब तक की सबसे अधिक रकम दिए जाने का फैसला लिया गया। यह रकम केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों से मिलने वाले अनुमानित लाभांश की दोगुनी है। इसके बाद भी रिजर्व बैंक ने आक​स्मिक बफर 6.5 फीसदी के ऊंचे स्तर पर बरकरार रखा है। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को 87,416.22 करोड़ रुपये का अ​धिशेष सौंपा था।

बिमल जालान समिति की सिफारिश के मुताबिक नया आर्थिक पूंजी ढांचा लागू होने के बाद 2018-19 में केंद्रीय बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये अधिशेष दिया था। इस ढांचे के तहत यह पता लगाने का तरीका ईजाद किया गया था कि रिजर्व बैंक से सरकार को कितना अधिशेष मिलना चाहिए।

महामारी के कारण पैदा हुई वृहद आर्थिक चुनौतियां देखते हुए और आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक ने 2018-19 और 2021-22 के बीच आक​स्मिक जोखिम बफर 5.5 फीसदी ही रखा था। 2022-23 में यह 6 फीसदी हो गया। वित्त वर्ष 2024 में आरबीआई ने आक​स्मिक जो​खिम बफर बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया। जालान समिति ने इसे आरबीआई की बैलेंस शीट के 5.5 से 6.5 फीसदी के दायरे में रखने का प्रस्ताव दिया था।

केंद्रीय बैंक ने आज कहा, ‘अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, इसीलिए बोर्ड ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आकस्मिक जो​खिम बफर बढ़ाकर 6.5 फीसदी करने का निर्णय लिया है।’

अर्थशास्त्रियों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में देसी और विदेशी संप​त्तियों से ज्यादा आय होने की वजह से आरबीआई के पास अ​धिक अ​धिशेष था। बार्कलेज की क्षेत्रीय अर्थशास्त्री श्रेया सोढानी ने कहा, ‘लाभांश (अधिशेष) का भुगतान रिजर्व बैंक के मुनाफे से ही नहीं जुड़ा है बल्कि 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे के तहत यह पूंजी का प्रोविजन भी है।’

सोढानी ने कहा, ‘हमने कहा था कि बहीखाते में 11.4 फीसदी वृद्धि के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में न्यूनतम नियामकीय जरूरतें पूरी करने के लिए आय में से इंतजाम बहुत कम था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि रिजर्व बैंक ने उससे पिछले साल (वित्त वर्ष 2022-23 में) पहले ही जरूरत से ज्यादा (6 फीसदी) आकस्मिक निधि रखी थी। इसलिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूंजी पर्याप्तता मानदंड पूरे करने के वास्ते बतौर पूंजी बहुत कम मुनाफा अलग रखा जा रहा है।’

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘2.11 लाख करोड़ रुपये की रकम​ वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट में लाभांश एवं मुनाफे के तहत दिए गए 1.5 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से बहुत अधिक है। उस अनुमानित राशि में सार्वजनिक उपक्रमों से मिलने वाला लाभांश भी रखा गया है।’

नायर के अनुसार आरबीआई से अनुमान से ज्यादा अधिशेष मिलने से चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार के संसाधन बढ़ जाएंगे। इससे अंतरिम बजट की घोषणाओं के मुकाबले अधिक व्यय करने या राजकोषीय घाटा और भी कम करने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक के बोर्ड ने वैश्विक और देसी मोर्चों पर आर्थिक स्थिति का जायजा लिया और आर्थिक संभावनाओं पर आने वाले जोखिम भी देखे।

First Published - May 22, 2024 | 10:11 PM IST

संबंधित पोस्ट