भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) शुक्रवार, 27 जून को 7 दिनों की अवधि वाली वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो (VRRR) नीलामी आयोजित करेगा। इसका उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अतिरिक्त नकदी को बाहर निकालना है। मौजूदा समय में वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) पॉलिसी रीपो रेट से नीचे चल रहा है, जो नकदी अधिशेष का संकेत देता है।
आरबीआई ने शुक्रवार को कहा, “वर्तमान और संभावित तरलता स्थितियों की समीक्षा के बाद यह फैसला किया गया है कि 27 जून को VRRR नीलामी की जाएगी।”
इसके साथ ही आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि 27 जून को 14 दिनों की मुख्य रिवर्स रीपो नीलामी नहीं की जाएगी। यह फैसला आने वाले पखवाड़े की नकदी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
पिछले दो हफ्तों में बैंकिंग सिस्टम में औसतन ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी रही, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हर दिन अलग-अलग माध्यमों से सिस्टम से बाहर करता रहा है।
RBI के लिक्विडिटी फ्रेमवर्क के मुताबिक, अगर किसी ऑपरेशन की अवधि 14 दिन या उससे ज्यादा होती है, तो उसे मुख्य ऑपरेशन (Main Operation) कहा जाता है। वहीं, 14 दिन से कम अवधि वाले ऑपरेशन को फाइन ट्यूनिंग ऑपरेशन (Fine Tuning Operation) माना जाता है।
पैसे के बाजार से जुड़े जानकारों का कहना है कि RBI की ओर से वेरिएबल रिवर्स रीपो रेट (VRRR) नीलामी कराना उम्मीद के मुताबिक ही था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि टैक्स भुगतान के बावजूद बैंकिंग सिस्टम में लगातार तरलता (liquidity surplus) बनी हुई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, बैंकिंग सिस्टम में नकदी की स्थिति सोमवार को ₹2.43 लाख करोड़ के अधिशेष (सरप्लस) में थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि वेटेड एवरेज ओवरनाइट कॉल रेट (ब्याज दर) अभी भी रीपो रेट से काफी नीचे है। अगर सरकार अगले महीने की शुरुआत में खर्च बढ़ाती है तो यह दर और भी नीचे जा सकती है।
एक सरकारी बैंक के मनी मार्केट डीलर ने बताया, “ओवरनाइट रेट को रीपो रेट के करीब लाने के लिए VRRR नीलामी (VRRR auction) की उम्मीद पहले से थी। भले ही जीएसटी और एडवांस टैक्स भुगतान के चलते करीब ₹2.5 लाख करोड़ की निकासी हुई है, लेकिन सिस्टम में नकदी अब भी भरपूर है।”
मंगलवार को वेटेड एवरेज कॉल रेट 5.27% पर आकर रुकी, जबकि रीपो रेट इस समय 5.50% है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बीते सप्ताह बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि केंद्रीय बैंक की लिक्विडिटी मैनेजमेंट की नीति का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य – यानी वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) – रीपो रेट के करीब रहे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब सिस्टम में तरलता अधिक होती है, तो WACR का लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) के निचले हिस्से में रहना कोई असामान्य बात नहीं है।
मल्होत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि चाहे VRRR (वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो) हो या VRR (वेरिएबल रेट रीपो), इन फाइन-ट्यूनिंग ऑपरेशंस से दीर्घकालिक (durable) लिक्विडिटी पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त दीर्घकालिक लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
बॉन्ड बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में 3 से 4 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ओर से शुक्रवार को होने वाली VRRR (वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो) नीलामी ने बाजार को थोड़ा चौंका दिया है। एक सरकारी बैंक के डीलर ने बताया कि बाजार को इस नीलामी की उम्मीद थी, लेकिन अगले पखवाड़े में। ऐसे में इसका इस शुक्रवार को होना थोड़ा अप्रत्याशित रहा।
इस साल की शुरुआत से अब तक RBI बैंकिंग सिस्टम में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए VRR नीलामी, स्वैप्स और ओपन मार्केट ऑपरेशंस के ज़रिए सक्रिय रूप से नकदी डालता रहा है। टैक्स भुगतान और विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के चलते नकदी की तंगी बनी हुई थी, जिससे निपटने के लिए केंद्रीय बैंक ने रोज़ाना VRR नीलामी शुरू की थी, जिसे 9 जून को वापस ले लिया गया।
जनवरी से अब तक RBI ने बैंकिंग सिस्टम में ₹9.5 लाख करोड़ की दीर्घकालिक नकदी डाली है। इस नकदी से हालात में बदलाव आया और दिसंबर के मध्य से जो नकदी की लगातार कमी बनी हुई थी, वह मार्च के अंत तक सरप्लस में बदल गई।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बाजार में कुल लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा ₹5.2 लाख करोड़ का है, जो ओपन मार्केट ऑपरेशंस (खुले बाजार में बॉन्ड खरीद) के ज़रिए डाला गया। इसमें सेकेंडरी मार्केट से की गई खरीदारी भी शामिल है।
इसके अलावा, लंबी अवधि की वीआरआर (VRR) नीलामी के जरिए ₹2.1 लाख करोड़ और डॉलर-रुपया (USD/INR) बाय-सेल स्वैप के ज़रिए ₹2.2 लाख करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी सिस्टम में जोड़ी गई।
इसके साथ ही, घरेलू मौद्रिक नीति समिति ने सितंबर से चार चरणों में कैश रिज़र्व रेश्यो (CRR) में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे यह 3 फीसदी पर आ गया है। इस फैसले से नवंबर के अंत तक बैंकिंग सिस्टम में करीब ₹2.5 लाख करोड़ की प्राथमिक लिक्विडिटी आने की उम्मीद है।