वित्त वर्ष 23 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का बही-खाता (Balance Sheet) पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.5 प्रतिशत बढ़कर 63.4 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिससे उसकी नकदी और विदेशी मुद्रा की बिक्री से लाभ का पता चलता है।
बैंकिंग नियामक की आमदनी 47 प्रतिशत बढ़कर 2.35 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिसमें प्रमुख भूमिका विदेशी मुद्रा की खरीद बिक्री से हुई कमाई की रही है।
रिजर्व बैंक का व्यय वित्त वर्ष 23 में 14 प्रतिशत बढ़कर 1.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक इसमें आकस्मिक निधि (सीएफ) में हस्तांतरित किए गए 1.30 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं।
वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा सिक्योरिटीज ने रिपोर्ट की समीक्षा में कहा है कि रिजर्व बैंक की आमदनी में तेज बढ़ोतरी विदेशी मुद्रा की बिक्री (1 लाख करोड़ रुपये) से हुई है, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार में उसकी सक्रिय हिस्सेदारी का पता चलता है। इसके अलावा इसकी घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज की राशि (1.3 लाख करोड़ रुपये) ज्यादा है, जिससे विदेशी नकदी परिचालन से हुए घाटे की भरपाई हुई है।
रिजर्व बैंक द्वारा आकस्मिक निधि में 1.3 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से प्रतिभूतियों के मूल्य में कमी और मौद्रिक व विदेशी विनिमय परिचालनों के जोखिम का खतरा कम हुआ है। पिछले साल (वित्त वर्ष 22) इस निधि में 1.1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। अब बैलेंस शीट की तुलना में आकस्मिक जोखिम बफर 6 प्रतिशत है, जो पिछले कुछ वर्षों के 5.5 प्रतिशत (5.5 से 6.5 प्रतिशत का मानक) से ज्यादा है।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा कि बफर में बढ़ोतरी (6 प्रतिशत) से वित्त वर्ष 24 में बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए संभावित उच्च जोखिम के संकेत मिलते हैं।
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट (वित्त वर्ष 23) में कहा गया है कि संपत्ति में बढ़ोतरी की वजह विदेशी निवेश (2.31 प्रतिशत), सोना (15.30 प्रतिशत) और ऋण एवं अग्रिम (38.33 प्रतिशत) है।
देनदारी की स्थिति देखें तो इसमें बढ़ोतरी की वजह जारी कि गए नोट (7.81 प्रतिशत), पुनर्मूल्यांकन खाते (20.5 प्रतिशत) और अन्य देनदारियां (79.07 प्रतिशत) हैं।
31 मार्च 2023 को कुल संपत्ति में घरेलू संपत्ति का हिस्सा 27.69 प्रतिशत रहा है, जो एक साल पहले के 28.22 प्रतिशत की तुलना में कम है। विदेशी मुद्रा संपत्तियों और सोने की हिस्सेदारी (जमा सोना और भारत में पड़ा सोना) 71.78 प्रतिशत से बढ़कर 72.31 प्रतिशत हो गई है।