रेल मंत्रालय की नजर इस वित्त वर्ष में मुद्रीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर है जबकि पहले इस मामले में पहले मंत्रालय का प्रदर्शन खराब रहा है। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार रेलवे ने वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रीकरण के लिए 17,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का आधार चिह्नित किया है।
मुद्रीकरण का मतलब किसी परिसंपत्ति की बिक्री या उसको किराये-लीज पर देकर कमाई करना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय निजी क्षेत्र को भारतीय रेलवे के कब्जे वाले भूखंडों, स्टेशन की जमीन का वाणिज्यिक इस्तेमाल करने और रेलवे कालोनियों को पट्टे पर देकर राजस्व हासिल करेगा।
मंत्रालय थिंक टैंक नीति आयोग को सालाना लक्ष्य सुपुर्द करेगा और यह मुद्रीकरण की प्रक्रिया का प्रमुख हिस्सा है। अन्य अधिकारी ने बताया कि इस महीने के आखिर में संपत्ति मुद्रीकरण के लक्ष्य की पुन: समीक्षा होगी। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर यानी रेलवे सरकार के मुद्रीकरण की योजना के तहत लक्ष्य के फीसदी को हासिल करने में सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में से एक है।
इस मामले के जानकार अधिकारी के अनुसार नीति आयोग ने करीब 68,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया था, जबकि रेल मंत्रालय ने मुद्रीकरण से महज 21,000 करोड़ रुपये हासिल किए हैं।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन द्वारा 2021 के लिए जारी आंकड़े के अनुसार रेल मंत्रालय को 2023-24 तक 1.2 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करना था। हालांकि रेलवे के नियमित रूप से अक्षम साबित होने के बाद इस लक्ष्य को घटाकर कम किया गया है। साल 2024-25 में मूल एनएमपी में रेलवे को मुद्रीकरण की प्रक्रिया से से 32,557 करोड़ रुपये जुटाने की बात कही गई है।
केंद्रीय थिंक टैंक का शुरुआती दौर में अंदाजा यह था कि रेल मंत्रालय मुद्रीकरण का आधा लक्ष्य रेलवे स्टेशनों के मुद्रीकरण से हासिल करेगा और पुनर्विकास की परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से हासिल की जानी थी।
बाजार ने रेलवे स्टेशनों के मुद्रीकरण में खासी रुचि दिखाई थी। आधारभूत ढांचे की दिग्गज कंपनियां जैसे अदाणी रेलवे, जीएमआर हाईवे, गोदरेज प्रोपर्टीज और ओबरॉय रियल्टी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और नई दिल्ली रेलवे स्टेशनों जैसी बड़ी परियोजनाओं को हासिल करने की दौड़ में शामिल रहे। हालांकि निविदाएं रेलवे के स्पेशल पर्पज व्हीक्ल (एसपीवी) के बंद हो जाने के कारण निरस्त कर दी गई थीं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2022 में तीन बड़े रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए केंद्रीय कोष से 10,000 करोड़ रुपये मुहैया करवाए थे। इसी वर्ष केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे की जमीन के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए भूखंड लाइसेंसिंग फीस (एलएलएफ) को कम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी ताकि ये भूखंड माल ढुलाई ऑपरेटरों और अन्य उद्योगों के लिए अधिक आकर्षक हो जाएं।
मूल एनएमपी में परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण में रेलगाड़ियां, ट्रैक ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई), गुड्स शेड्स, पहाड़ की रेलगाड़ियां और स्टेडियम शामिल हैं। हालांकि रेलवे को अन्य संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए भी कहा गया है।
एनएमपी के अनुसार ट्रैक ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएमई) और यात्री रेलगाड़ियों के मुद्रीकरण के लिए बने आधारभूत ढांचा निवेश ट्रस्ट से 40,000 करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद थी। इसके बाद मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह रेलगाड़ियों के परिचालन का निजीकरण नहीं करेगा।
रेलवे के शेष आधारभूत ढांचे से ओएचई को अलग किए जाने के मुद्दे पर जटिलताएं सामने आई थीं। इसका कारण यह था कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर संपत्तियों के संचालन को नियंत्रित करने का खासा इच्छुक था। खबर लिखे जाने तक रेल मंत्रालय को सवाल भेजे गए थे लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला था।