सरकार विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के नियमों में विधायी बदलाव की योजना बना रही है। इसके बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 10 फीसदी स्वामित्व हासिल करते ही आसानी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक (एफडीआई) में तब्दील हो जाएंगे। विदेशी निवेशकों से बार-बार अनुरोध के बाद सरकार यह कदम उठाने जा रही है। एफपीआई 10 फीसदी सीमा पार करने के बाद खुलासे की जरूरतों को सरल बनाने की मांग करते रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि फिलहाल फेमा के तहत काफी सख्त प्रावधान मौजूद हैं, जिनके कारण एफपीआई एक ही कंपनी में रणनीतिक निवेशक के तौर पर 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं खरीद सकता। मगर एफडीआई नियमों के तहत कई क्षेत्रों में 100 फीसदी निवेश की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों का विभाग ऐसे निवेशकों की समस्या के समाधान के लिए काम कर रहा है।
एफपीआई से एफडीआई में बदलाव से जुड़ी कुछ चिंताओं और अस्पष्टताओं की बात करते हुए उन्होंने कहा कि नए सिरे से वर्गीकरण के लिए कस्टोडियन को प्रतिभूति एवं डिपॉजिटरी के अलग-अलग खाते खोलने की जरूरत होती है। इससे खुलासे की प्रक्रिया पेचीदा हो जाती है और मिलान करने में भी दिक्कत आती है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि एफडीआई बनने के बाद कर किस प्रकार लगाया जाएगा। इससे निवेशक अनिश्चय में हैं।
एफपीआई से एफडीआई बनने की प्रक्रिया के दौरान कंपनी के कामकाज में भी कई चुनौतियां आती हैं, जिन पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। इसके अलावा मल्टीपल इन्वेस्टमेंट मैनेजर (एमआईएम) व्यवस्था में डेजिग्नेटेड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीडीपी) के पद पर भी अनिश्चितता है। जहां कई डीडीपी होते हैं वहां ज्यादा अनिश्चितता है।
अधिकारी ने कहा, ‘इन समस्याओं को देखते हुए जरूरी है कि एफपीआई से एफडीआई में आसानी से बदलाव के लिए स्पष्टता हो और रास्ता भी बताया जाए।’ उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को आसान बनाने और एफपीआई को एफडीआई के बराबर लाने के मुद्दे पर चर्चा जारी है।
मौजूदा प्रावधानों के अनुसार अगर कोई एफपीआई निर्धारित सीमा से अधिक निवेश कर देता है तो सीमा के उल्लंघन वाले दिन से पांच कारोबारी दिवसों के भीतर उसे अपनी अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी होती है।
अगर एफपीआई अतिरिक्त हिस्सेदारी नहीं बेचता तो एफपीआई और उसके निवेशक समूह द्वारा कंपनी में किए गए समूचे निवेश को एफडीआई के तहत निवेश माना जाएगा। इसके बाद एफपीआई और उसका निवेशक समूह उस कंपनी में आगे पोर्टफोलियो निवेश नहीं कर पाएंगे।