भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किसी भी हालात में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से पहले दर कटौती किए जाने की संभावना नहीं है। यह दर मौजूदा समय में 6.5 प्रतिशत है।
एसबीआई में मुख्य आर्थिक सलाहकार (समूह) सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक नीति में यथास्थिति बनाए रखेगा, जिसकी घोषणा 8 दिसंबर को की जाएगी।
मशीन लर्निंग के आर्टीफिशल न्यूरल नेटवर्क (एएनएन) मॉडल का इस्तेमाल कर रिपोर्ट में रीपो दरों के 4-सिनेरियोज बनाए गए और परिणाम से संकेत मिला कि 6.5 प्रतिशत अब नई बात नहीं है। अर्थशास्त्रियों ने रीपो दरों के लिए चार संभावनाओं पर विचार किया।
पहले परिवेश में, अर्थशास्त्रियों ने इस पर ध्यान दिया कि क्या एमपीसी रीपो दर पर निर्णय लेते समय सिर्फ घरेलू सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर विचार करेगी।
अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा दर 5.93 प्रतिशत हो जाएगी। दूसरे परिवेश में, यदि एमपीसी ने रीपो दर पर निर्णय लेते वक्त केवल फेड दर में बढ़ोतरी पर विचार किया होता, तो वर्तमान दर 6.55 प्रतिशत पर होती।
वहीं तीसरे हालात के अनुसार, यदि एमपीसी ने रीपो दर पर निर्णय लेने के संदर्भ में सीपीआई मुद्रास्फीति और फेड दर वृद्धि, दोनों पर विचार किया होता तो मौजूदा दर 6.53 प्रतिशत होगी।
यदि रीपो दर के संबंध में एमपीसी ने सीपीआई मुख्य मुद्रास्फीति, सीपीआई कोर मुद्रास्फीति और फेड दर वृद्धि पर विचार किया होता तो तो मौजूदा दर 6.64 प्रतिशत पर होती।
इन सभी अनुमानों के आधार पर अर्थशास्त्रियों ने यह निष्कर्ष निकाला, ‘आरबीआई रीपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रख सकता है, सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह समय यथास्थिति बनाए रखने का है और पहली दर कटौती वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से पहले नहीं होती नहीं दिख रही है।’
आगामी नीतिगत बैठक में, केंद्रीय बैंक द्वारा रीपो दर 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने की संभावना है। यथाथिति बरकरार रहने की संभावना है। एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा है, ‘घरेलू तौर पर हम 6.50 प्रतिशत पर लंबे समय तक डटे रहेंगे, फिर जून 2024 तक कोई बदलाव नहीं देखा जा सकता है।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि मौजूदा नीतिगत दृष्टिकोण बदलने का रुख जारी रहना चाहिए क्योंकि वित्त वर्ष 2024 के शेष समय में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से नीचे जाने की संभावना नहीं है।’
केंद्रीय बैंक द्वारा अक्टूबर 2023 के दौरान रीपो दर 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गई थी। मई 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच आरबीआई ने दरों में 250 आधार अंक तक का इजाफा किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, देश की वृद्धि मजबूत बने रहने का अनुमान है, क्योंकि जोखिम मुख्य तौर पर भारत से बाहर स्रोतों से पैदा हो रहे हैं। ऊंची तेल कीमतों से मुद्रास्फीति बढ़ रही है और सख्त वैश्विक वित्तीय हालात मौद्रिक मुद्रास्फीति और विकास परिदृश्य को प्रभावित करने वाले मुख्य जोखिम हैं।
‘ऑल शिड्यूल्ड कमर्शियल बैंक्स’ (एएससीबी) के कुल ऋण 17 नवंबर, 2023 तक सालाना आधार पर 20.6 प्रतिशत तक बढ़े, जबकि पिछले साल इसमें 16 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया था।
समान समय में, आवासीय/वाणिज्यिक रियल एस्टेट में सालाना आधार पर 35 गुना से ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया और विमानन के लिए एक साल पहले के मुकाबले 67 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। एनबीएफसी क्षेत्र के लिए उधारी सालाना आधार पर 22 प्रतिशत बढ़ी।