केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को सरकारी बैंकों (पब्लिक सेक्टर बैंकों) के साथ सालाना समीक्षा बैठक करने वाली हैं। यह बैठक वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस बैठक में सभी सरकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन, वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू और वित्तीय सेवा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
इस बैठक का मुख्य मकसद वित्तीय वर्ष 2025 के लिए बैंकों के वित्तीय नतीजों की समीक्षा करना है। इसके अलावा, बिजनेस ग्रोथ, लोन रिकवरी, डिजिटल बैंकिंग में प्रगति और वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) के प्रयासों पर भी चर्चा होगी।
यह वित्त मंत्री की एक हफ्ते में सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ दूसरी मुलाकात होगी। बीते शुक्रवार को उन्होंने सीमा पर बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर एक बैठक की थी। उस दौरान वित्त मंत्री ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी हाल में नागरिकों और व्यवसायों को बैंकिंग सेवाओं में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एटीएम में नकदी की उपलब्धता, यूपीआई और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सेवाओं को बिना रुकावट चलाना और जरूरी बैंकिंग सुविधाओं को बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए। पिछली ऐसी समीक्षा बैठक अगस्त 2024 में हुई थी।
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सरकारी बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 1.78 लाख करोड़ रुपये का कुल मुनाफा कमाया, जो पिछले साल के 1.41 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्री इस बार सीमावर्ती राज्यों में बैंकों की स्थिति और ग्राहकों को बिना किसी परेशानी के दी जा रही सेवाओं का जायजा लेंगी।
इसके साथ ही, वित्तीय समावेशन से जुड़ी योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा होगी। इनमें स्किल डेवलपमेंट के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (CGFSSD), मुद्रा लोन, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), एमएसएमई सेक्टर के लिए बजट 2025-26 में की गई घोषणाएं, पीएम विद्या लक्ष्मी योजना, पीएम-कुसुम और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शामिल हैं।
एक अन्य सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्री इस बार डिपॉजिट जुटाने के प्रयासों की भी समीक्षा कर सकती हैं। पिछले बैठक में उन्होंने डिपॉजिट बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया था। एक अधिकारी ने कहा, “हालांकि लोन देने में तेजी आई है, लेकिन डिपॉजिट जुटाने में अभी और मेहनत की जरूरत है ताकि लेंडिंग को टिकाऊ तरीके से समर्थन मिल सके।”
वित्त मंत्री ने बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने के लिए खास अभियान चलाने की सलाह दी थी। इस बार की बैठक में वे यह भी देखेंगी कि सरकारी बैंक ग्राहकों से बेहतर जुड़ाव और सेवा देने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।