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अमेरिका-चीन में समझौते से कम हो सकता है भारतीय निर्यातकों का टैरिफ एडवांटेज

अमेरिका 14 मई से चीन के उत्पादों पर आयात पर शुल्क को 145 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी करने पर सहमत हो गया है।

Last Updated- May 13, 2025 | 10:23 AM IST
US-China reciprocal tariff truce likely to narrow India's export edge
Representative Image

जिनेवा में सप्ताहांत वार्ता के बाद अमेरिका और चीन के बीच हुए समझौते से भारतीय निर्यातकों को अपने पड़ोसी देश की तुलना में मिलने वाला शुल्क लाभ (Tariff Advantage ) कम हो सकता है। अप्रैल की शुरुआत में अमेरिका ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर व्यापक जवाबी शुल्क लगाया था जबकि भारत के लिए यह शुल्क कम था।

अमेरिका 14 मई से चीन के उत्पादों पर आयात पर शुल्क को 145 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी करने पर सहमत हो गया है। इसमें फेंटेनाइल पर लगाया गया 20 फीसदी शुल्क भी शामिल है। दोनों देशों ने आज कहा कि चीन भी अमेरिका के उत्पादों पर आयात शुल्क को 125 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करेगा। नए उपाय 90 दिनों के लिए प्रभावी हैं।

वर्तमान में अमेरिका में भारतीय उत्पादों के आयात पर 10 फीसदी बुनियादी शुल्क देना पड़ रहा है। इससे पहले डॉनल्ड ट्रंप ने भारत सहित दुनिया भर के देशों पर जो जवाबी शुल्क लगाया था उसे 90 दिनों तक रोक दिया गया है।

दिल्ली स्थित ग्लोबल ट्रेड रिसर्च

इनीशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में भले ही 10 फीसदी बुनियादी शुल्क लग रहा हो जो चीन के आयात पर लगाए जा रहे 30 फीसदी से काफी कम है मगर इससे पहले चीन और भारत के उत्पादों पर अमेरिका में शुल्क का अंतर काफी ज्यादा था जिसका भारतीय निर्यातकों को लाभ मिलने की उम्मीद थी लेकिन अब यह अंतर तेजी से कम हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘एक महीने पहले अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर 145 फीसदी तक का आयात शुल्क लगा दिया था। इससे चीन से अपना उत्पादन दूसरे देशों में ले जाने का विचार करने वाली कंपनियों को आकर्षित करने में भारत को मदद मिलने की उम्मीद थी। मगर अमेरिका और चीन के बीच तनाव कम होने और शुल्क घटाने पर सहमति बनने के बाद अब यह बढ़त नाटकीय रूप से काफी कम हो गया है। यह वैश्विक निवेशकों के लिए स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका चीन के साथ नए सिरे से संपर्क बढ़ा रहा है।

निर्यातकों का संगठन फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम वैश्विक व्यापार स्थिरता के लिए सकारात्मक हैं लेकिन ये भारत के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा, ‘शुल्क घटाने से इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और रसायन जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने की संभावना है। इससे दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे बाजारों, जहां भारत ने हाल में अमेरिका-चीन व्यापार बाधा का लाभ उठाते हुए अपनी पैठ बनाई है, में भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। हालांकि भारत इस बदलाव का लाभ उन फार्मास्युटिकल एपीआई, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, कार्बनिक रसायन और आईटी सेवाओं में उठा सकता है।’

परिधान के एक निर्यातक ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘पिछले महीने शुल्क युद्ध के बाद चीन अमेरिकी बाजार से बाहर हो गया था। लेकिन व्यापार युद्ध थमने का मतलब है कि चीन फिर से अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बन जाएगा। हालांकि
हमारे पास अभी भी शुल्क के मामले में बढ़त है।’

एक अन्य निर्यातक ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता होने से अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों को अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले स्थायी तौर पर शुल्क लाभ प्रदान कर सकता है।

श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच समझौते से ‘चीन प्लस वन’ रणनीति धीरे-धीरे पीछे छूट सकती है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘अमेरिका और चीन के बीच सुलह हो जाने के बाद अब दोनों देशों के बीच 660 अरब डॉलर का कारोबार फिर से खुल जाएगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव कम होगा। लेकिन इसमें एक पेच है। जैसे-जैसे शुल्क का अंतर कम होगा वियतनाम, भारत या मैक्सिको जैसी जगहों पर उत्पादन स्थानांतरित करने वाली कंपनियां चीन में वापस लौट सकती हैं। कुल मिलाकर यह समझौता शुल्क युद्ध के उद्देश्य से शुरू किए गए विकेंद्रीकरण को खत्म कर सकता है।’

First Published - May 13, 2025 | 8:58 AM IST

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