भारित औसत कॉल रेट (डब्ल्यूएसीआर) ने पिछले महीने की तुलना में 16 सितंबर से 16 अक्टूबर, 2025 के दौरान नीतिगत रीपो दर के साथ बेहतर तालमेल दिखाया। भारतीय रिजर्व बैंक की सोमवार को जारी मासिक रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द इकॉनमी’ के अनुसार डब्ल्यूएसीआर ने 30 सितंबर को घोषित संशोधित नकदी प्रबंधन ढांचे के बाद मौद्रिक नीति के लिए परिचालन लक्ष्य के रूप में कार्य करना जारी रखा है।
यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता के मार्गदर्शन में लिखी है। यह स्पष्ट किया गया कि रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह रिजर्व बैंक के नहीं हैं।
इस अवधि के दौरान डब्ल्यूएसीआर व्यापक रूप से नीति दर के दायरे में था। इसने सितंबर के उत्तरार्ध में रीपी दरों से ऊपर कारोबार किया था। इसका कारण अस्थायी रूप से कर प्रवाह से नकदी में कमी आना था।
हालांकि अक्टूबर की शुरुआत में नकदी में सुधार हुआ था। इसके परिणामस्वरूप रिजर्व बैंक ने 9 अक्टूबर और 15 अक्टबूर को दो वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) की नीलामी की थी। मुद्रा बाजार में तीन महीने के ट्रेजरी बिलों पर औसत यील्ड में कमी आई।
हालांकि एनबीएफसी के जारी तीन महीने के जमा प्रमाणपत्रों और वाणिज्यिक प्रपत्रों की औसत यील्ड में वृद्धि हुई। इससे औसत जोखिम प्रीमियम बढ़ गया, जो तीन महीने के सीपी और 91-दिन के टी-बिल यील्ड के बीच का अंतर है। निश्चित आय बाजार में सितंबर के उत्तरार्ध और अक्टूबर (17 अक्टूबर तक) की छोटी अवधि की यील्ड में गिरावट आई जबकि लंबी अवधि की यील्ड आमतौर पर स्थिर रही।