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Russian oil: अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत की तेल सप्लाई लगभग बंद होने की संभावना

अमेरिकी सख्ती से रुक सकती है रूस से भारत की तेल सप्लाई, लेकिन नयारा एनर्जी खरीद जारी रखेगी!

Last Updated- October 23, 2025 | 12:02 PM IST
Russian Oil

India Russia Oil Trade: पिछले तीन सालों से भारत और रूस की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद रही रूसी तेल की सप्लाई अब लगभग रुकने वाली है। अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोजनेफ्ट (Rosneft PJSC) और लुकोइल (Lukoil PJSC) पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके बाद भारत की बड़ी रिफाइनिंग कंपनियां अब रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर देंगी।

अमेरिका के नए प्रतिबंधों का India Russia Oil Trade पर क्या असर होगा?

भारत की प्रमुख रिफाइनिंग कंपनियों के सीनियर अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बाद रूस से तेल की सप्लाई जारी रखना लगभग असंभव हो गया है। उन्होंने कहा कि रूस की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने से यह व्यापार खत्म हो जाएगा। अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि अब भारत को तेल के नए स्रोत तलाशने पड़ेंगे।

भारत के लिए क्यों मुश्किल है यह फैसला?

एनालिटिक्स फर्म Kpler के मुताबिक, इस साल अब तक भारत की कुल तेल आयात का 36 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया है। यह स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के लिए बड़ी चिंता का विषय रही है, जिन्होंने अगस्त में टैरिफ (कर) बढ़ाकर भारत पर दबाव बढ़ाया था। पहले भारत ज्यादातर पश्चिम एशिया से तेल खरीदता था, लेकिन 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद रूस का सस्ता तेल भारत के लिए फायदेमंद साबित हुआ। उस वक्त G7 देशों ने रूस पर प्रति बैरल 60 डॉलर की मूल्य सीमा लगाई थी ताकि रूस की आमदनी घटे लेकिन तेल की सप्लाई जारी रहे।

ट्रंप प्रशासन ने अब क्यों दिखाई सख्ती?

अब ट्रंप प्रशासन ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर सीधे प्रतिबंध लगाकर बड़ा कदम उठाया है। इससे रूस से भारत को तेल सप्लाई लगभग पूरी तरह रुक जाएगी। यह फैसला तब आया है जब भारत की रिफाइनिंग कंपनियां दिवाली छुट्टियों के बाद फिर से काम शुरू कर रही हैं।

क्या नयारा एनर्जी जारी रखेगी रूसी तेल की खरीद?

भारत की नयारा एनर्जी (Nayara Energy), जिसमें रोजनेफ्ट की हिस्सेदारी है, संभवतः रूस से तेल खरीदना जारी रखेगी। कंपनी इस साल से पूरी तरह रूसी तेल पर निर्भर रही है, खासकर तब से जब यूरोपीय संघ (EU) ने जुलाई में रूस पर नए प्रतिबंध लगाए थे।

तेल ऑर्डर पर क्या पड़ेगा असर?

नए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अब नवंबर-दिसंबर के लिए तेल ऑर्डर ज्यादातर अन्य देशों से आएंगे। मध्य अक्टूबर से ही रूस के उरल्स (Urals) क्रूड की बिक्री में गिरावट आने लगी थी, जब ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी रूस से तेल खरीद बंद करेंगे। इस बयान के बाद कई खरीदार रूसी तेल सौदे करने से हिचकिचा रहे हैं।

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

सिंगापुर की मार्केट एनालिसिस फर्म Vanda Insights की संस्थापक वंदना हरी का कहना है कि “इन नए प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियों को बहुत जल्दी पीछे हटना पड़ सकता है।” उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह थोड़ा आसान होगा क्योंकि तीन साल पहले तक भारत रूस से तेल नहीं खरीदता था, जबकि चीन के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा।

वॉशिंगटन की सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी की विश्लेषक रैचल ज़ीम्बा ने कहा कि यह अमेरिका की अब तक की सबसे प्रभावी कार्रवाई है, लेकिन गैर-आधिकारिक वित्तीय नेटवर्क्स के कारण इसका असर पूरी तरह नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि अब यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत और चीन को आगे के प्रतिबंधों का कितना डर है।

भारत की तेल कंपनियों की क्या प्रतिक्रिया है?

भारत की सरकारी तेल कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और मंगलुरु रिफाइनरी (MRPL) ने इस मुद्दे पर ब्लूमबर्ग के सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया। ये कंपनियां आम तौर पर स्पॉट मार्केट से तेल खरीदती हैं। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), जिसका रूस की रोजनेफ्ट के साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट है, ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। नयारा एनर्जी, जिसने इस साल रूस से भारत के कुल आयात का 16 प्रतिशत हिस्सा संभाला है, ने भी फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)

First Published - October 23, 2025 | 11:30 AM IST

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