IEPF Claim Process: भारत में बहुत से निवेशक इस बात से अनजान हैं कि कंपनियों के पास पड़े उनके पुराने शेयर और बिना क्लेम किए डिविडेंड को कानूनी तरीके से आसानी से वापस लिया जा सकता है। इसके लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित ‘इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF)’ पोर्टल एक आधिकारिक मंच है।
अगर निवेशक सात साल की तय अवधि में अपने डिविडेंड, मैच्योर डिबेंचर या शेयर का क्लेम नहीं करते, तो ये पैसा IEPF में ट्रांसफर हो जाता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब निवेशक शहर बदलते हैं, बैंक खाता बदलते हैं या अपने निवेश का हिसाब रखना भूल जाते हैं। यह फंड बिल्कुल सुरक्षित रहता है, लेकिन इन्हें सही तरीके से क्लेम किए बिना निकाला नहीं जा सकता।
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क्लेम करने के बाद, IEPF अथॉरिटी डॉक्यूमेंट्स की जांच करती है और प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है। निवेशक पोर्टल के जरिए अपने आवेदन की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं। आमतौर पर, वेरिफिकेशन की जरूरतों के आधार पर इस प्रक्रिया में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है।
डिजिटाइज्ड IEPF पोर्टल की वजह से पुराने शेयर या बिना क्लेम किए डिविडेंड को वापस पाना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान है। कुछ आसान कदमों के साथ, निवेशक उस धन को हासिल कर सकते हैं जो अन्यथा हमेशा के लिए लॉक रह सकता है।