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इस महीने GST परिषद की बैठक में हो सकते हैं कई अहम निर्णय

Last Updated- June 05, 2023 | 1:01 AM IST
Nirmla sitaraman

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की इस महीने के आखिर में होने वाली बैठक में बहुप्रतीक्षित अपील पंचाट के संचालन ढांचे को मंजूरी दी जा सकती है। यह पंचाट कर विवादों को निपटाने तथा संपूर्ण समाधान प्रक्रिया को एकरूप बनाने के लिए गठित किया जा रहा है।

एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने कहा कि परिषद की अगली बैठक में अपील पंचाट का अंतिम खाका और खास तौर पर संचालन का हिस्सा मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। इससे राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंचाट के काम करने का रास्ता साफ होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल नवंबर से अपील पंचाट काम करने लगेगा।

उक्त अ​धिकारी ने कहा कि बजट सत्र के दूसरे हिस्से में वित्त विधेयक के जरिये जीएसटी कानून में जरूरी संशोधन कर जमीन स्तर का काम किया जा चुका है। अब अंतिम नियम बनाए जाएंगे और उसके हिसाब से राज्य के कानून में बदलाव किया जाएगा। एक अन्य अ​धिकारी ने कहा, ‘पंचाट 6 से 7 महीने में काम करने लगेगा। इसके तहत राष्ट्रीय अपील पंचाट गठित किया जाएगा और हर राज्य में इसका पीठ खोला जाएगा।’

कई दौर की चर्चा और परामर्श के बाद 18 फरवरी को आयोजित बैठक में परिषद ने पंचाट के विधेयक का मसौदा पेश करने पर सहमति दी थी।

विधेयक के अनुमसार जीएसटीएटी में नई दिल्ली में प्रधान पीठ होगा, जिसमें अध्यक्ष तथा न्यायिक सदस्य सहित केंद्र तथा राज्य के एक-एक तकनीकी सदस्य शामिल होंगे। राज्यों में भी आबादी के हिसाब से इसका पीठ होगा। 2 करोड़ तक की आबादी वाले राज्य में अपील पंचाट का एक पीठ होगा। 2 से 5 करोड़ की आबादी वाले राज्यों में दो पीठ हो सकते हैं।

राष्ट्रीय अपील पीठ मुख्य रूप से जीएसटी के तहत आपूर्ति के स्थान पर करदाता और विभाग के बीच विवाद में किए गए अपील मामलों को देखेगा। मगर यह राज्य अपील पंचाटों के अलग-अलग फैसले पर हुई किसी अपील पर विचार नहीं करेगा।

परिषद ने जीएसटी अपील पंचाट पर राज्यों के मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट को थोड़े बदलाव के साथ स्वीकार कर लिया है। उसे जारी करने का फैसला लिया गया है ताकि जीएसटी कानून में आवश्यक बदलाव के बारे में राज्य अपनी टिप्पणी दे सकें।

फिलहाल कर अ​धिकारियों के फैसले से असंतुष्ट करदाता को अपील के लिए उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ता है। उच्च न्यायालय पर पहले ही मुकदमों का काफी बोझ है, इसलिए समाधान में बहुत देर हो जाती है। उच्च न्यायालयों के पास जीएसटी संबंधी मामलों से निपटने के लिए विशेषज्ञों वाला पीठ भी नहीं है।

इस महीने के तीसरे या अंतिम हफ्ते में होने वाली परिषद की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और रेस पर कर लगाने से संबंधित मसले हल करने की कोशिश भी की जा सकती है। ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म गेम्सक्राफ्ट को भेजे गए 21,000 करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में रद्द कर दिया है। ऐसे में यह मामला काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।

कराधान पर बनाई गई राज्यों के मंत्रियों की समिति ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी कर लगाने पर सहमति जताई थी। मगर इस बात पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी कि पोर्टल द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर या सट्टा तथा जीत की रा​शि सहित समूची रा​शि पर यह कर लगाया जाए या नहीं। इसकी वजह से मंत्रिसमूह ने सभी सुझावों को अंतिम चर्चा के लिए परिषद को भेजने का ​निर्णय किया था। परिषद में अभी इस पर विचार नहीं हुआ है।

सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे का हल आगामी बैठक में भी होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि संबं​धित हितधारक अभी तक असमंजस में हैं। उधर उच्च न्यायालय की कार्यवाही अभी तक इस सवाल पर टिकी थी कि ऑनलाइन खेलों को कौशल का खेल माना जाए या मौका क्योंकि कौशल के खेल पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है जबकि मौके वाले खेलों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। गेम्सक्राफ्ट के अनुसार अ​धिकांश खेल रमी हैं और उसका दावा है कि ये कौशल के खेल हैं।

परिषद जीएसटी दर को वाजिब बनाने के लिए समिति का पुनर्गठन भी कर सकती है। जब बासवराज बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तब उनकी अध्यक्षता में यह समिति बनाई गई थी। मगर उसकी अंतिम रिपोर्ट आने से पहले ही राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। ऐसे में समिति का पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। समिति बाजरा आधारित उत्पादों पर कराधान जैसे कुछ लंबित मामलों पर भी ​स्थिति स्पष्ट कर सकती है।

First Published - June 5, 2023 | 1:01 AM IST

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