मार्च में विनिर्माण गतिविधियों की वृद्धि दर 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। आईएचएस मार्किट पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के मुताबिक कोविड के मामले बढऩे से मांग प्रभावित हुई है, जिससे विनिर्माण पीएमआई नीचे आया है।
पीएमआई फरवरी के 57.5 से गिरकर मार्च में 7 महीने के निचले स्तर 55.4 पर आ गया है। दरअसल पिछले साल सितंबर में लॉकडाउन व्यापक तौर पर खत्म किए जाने के बाद से मार्च में पीएमआई सबसे निचले स्तर पर है। पीएमआई की रीडिंग 50 से ऊपर होने पर वृद्धि व 50 से नीचे होने पर संकुचन का पता चलता है। यह आंकड़ा ऐसे समय आया है, जब नीतिगत दरों पर फैसला करने के लिए आज भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू हो चुकी है। इस पर बुधवार को फैसला होगा।
आईएचएस मार्किट की एसोसिएट डायरेक्टर, इकोनॉमिक्स पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘सर्वे में भाग लेने वालों ने संकेत दिए कि कोविड-19 महामारी के प्रसार की वजह से मांग में वृद्धि सुस्त पड़ी है, जबकि लागत के दबाव की वजह से इनपुट की खरीदारी कम हुई है।’
मार्च में पीएमआई के कमजोर आंकड़े फरवरी महीने के प्रमुख क्षेत्र के आंकड़ों के मुताबिक हैं। फरवरी में प्रमुख क्षेत्र के आंकड़ों में 4.6 प्रतिशत संकुचन आया था और सभी 8 उद्योगों में उत्पादन में गिरावट आई थी।
मार्च महीने में रोजगार में गिरावट आई है।
400 विनिर्माताओं के बीच कराए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गई पीएमआई रिपोर्ट के मुताबिक मार्च महीने में रोजगार में गिरावट आई है और एक साल से चल रहा छटनी का सिलसिला जारी है। संकुचन की दर में सुधार है। सर्वे में शामिल लोगों ने संकेत दिए कि कोविड-19 के कारण कार्यबल पर लगे प्रतिबंधों की वजह से ऐसा हुआ है। पेरोल के आंकड़ों में कमी के बावजूद कारोबार में सिर्फ मामूली बढ़ोतरी हुई है।
लीमा ने कहा कि कोविड-19 के प्रतिबंध बढऩे और कई राज्यों में लॉकडाउन के कदम फिर से उठाए जाने से भारत के विनिर्माताओं को अप्रैल महीने में भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
यह अनुमान है कि टीकाकरण कार्यक्रम की वजह से बीमारी पर नियंत्रण लग सकेगा और इसकी वजह से कारोबारी भरोसा सकारात्मक है, लेकिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए निकट की अवधि के हिसाब से अनिश्चितता बढ़ रही है। लीमा ने कहा कि इसकी वजह से धारणा 7 महीने के निचले स्तर पर आ गई है।
मार्च महीने में कारोबारी विश्वास डगमगाया है। कुछ फर्मों को उम्मीद है कि आगामी 12 महीनों में वृद्धि होगी, जबकि ज्यादातर का अनुमान है कि मौजूदा स्तर में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि उम्मीद बनी हुई है कि कोविड-19 की वजह से लगा नियंत्रण कम होगा।
बहरहाल बार्कलेज इंडिया ने एक नोट में कहा है कि लगातार 8 महीनों तक प्रसार यह दिखाता है कि आर्थिक रिकवरी पटरी पर है। रिकवरी की गति बनाए रखने के लिए तेजी से टीकाकरण और नीतिगत समर्थन जारी रखना जरूरी है।
मार्च महीने में औसत लागत के बोझ में बढ़ोतरी जारी रही। महंगाई दर पिछले 3 साल में दूसरे सबसे मजबूत आंकड़े पर रही, जो सिर्फ फरवरी से कम रही है। सर्वे में शामिल लोगों ने बाताया कि केमिकल, धातुओं, प्लास्टिक, रबर और टेक्सटाइल के दाम बढ़े हैं।
इनपुट लागत बढऩे से मुनाफे को बचाने के लिए कुछ फर्मों ने विक्रय मूल्य बढ़ाया है। बहरहाल तमाम ऐसा करने से बची हैं, क्योंकि प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव है।
