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खाद्य कीमतों पर ब्याज दरों का सीमित असर

रीपो रेट में कटौती के पक्ष में नागेश कुमार और राम सिंह का तर्क, सुस्त आर्थिक वृद्धि पर नीतिगत ध्यान देने की जरूरत

Last Updated- December 20, 2024 | 10:34 PM IST
RBI MPC

खाद्य कीमतें समग्र महंगाई दर को प्रभावित कर रही हैं लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के दो बाहरी सदस्यों का कहना है कि ब्याज दरों का इन पर सीमित असर है। इन दोनों बाहरी सदस्यों नागेश कुमार और राम सिंह ने नीतिगत रीपो रेट में 25 आधार अंक कटौती करने के पक्ष में मत दिया। समिति ने 4-2 के बहुमत से रीपो रेट 6.5 प्रतिशत बनाए रखने का फैसला किया था, जबकि सभी सदस्यों ने नीतिगत रुख बदलकर अकोमोडेशन ऑफ विड्राल से तटस्थ करने का पक्ष लिया था।

नागेश कुमार ने जुलाई से सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रह जाने का हवाला देते हुए कहा, ‘वृद्धि में आई मौजूदा सुस्ती पर्याप्त रूप से गंभीर है और इस पर नीतिगत रूप से ध्यान देने की जरूरत है।’ सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर रिजर्व बैंक के 7 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से काफी नीचे रही है।

कुमार ने अक्टूबर पॉलिसी के दौरान भी दर में कटौती के पक्ष में मत दिया था। उन्होंने कहा कि महंगाई में वृद्धि व्यापक रूप से खाद्य कीमतों की वजह से है, जिसका सूचकांक में अधिभार ज्यादा है। रीपो रेट में कटौती के पक्ष में पहली बार वोट देने वाले सिंह ने उम्मीद जताई कि चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई दर कम हो जाएगी।

सिंह ने कहा, ‘सब्जियों और फलों की कीमत में उतार-चढ़ाव में ब्याज दरों की मामूली भूमिका होती है।’ उन्होंने कहा, ‘पिछली 10 तिमाहियों से बढ़ी ब्याज दरों का कीमत में उतार चढ़ाव पर कोई उल्लेखनीय असर नहीं हुआ है, खासकर टमाटर प्याज और आलू (टीओपी) की कीमत पर, जिनकी समग्र महंगाई दर की वृद्धि में अहम भूमिका होती है।’

प्रमुख महंगाई (4 प्रतिशत से नीचे) और नीतिगत दर (6.5 प्रतिशत) के बीच अंतर 2.5 प्रतिशत से ज्यादा हो जाने पर चर्चा करते हुए सिंह ने कहा कि इससे मौद्रिक व्यवस्था के हाथ सीमित हो जाते हैं। सिंह ने कहा, ‘दर में कटौती से कारोबार करने की लागत घट जाएगी और इससे फर्मों और कंपनियों का नकदी बढ़ाने का अवसर बढ़ेगा।’

यथास्थिति बनाए रखने का पक्ष लेने वाले एक और बाहरी सदस्य सौगात भट्टाचार्य ने बढ़ी महंगाई और सुस्त वृद्धि को देखते हुए सावधानीपूर्वक कदम उठाए जाने का पक्ष लिया। हालांकि उन्होंने आशंका जताई कि खाद्य महंगाई दर बढ़े स्तर पर बनी रहेगी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘हालांकि यह मुख्य रूप से कुछ सब्जियों की ऊंची कीमतों (अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.2 प्रतिशत होना) का नतीजा है, लेकिन अन्य खाद्य वस्तुएं भी महंगी हो रही हैं। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में खाद्य महंगाई दर कम हो रही है, लेकिन इसके उच्च स्तर पर बने रहने के आसार हैं।’ आंतरिक सदस्यों में एक राजीव रंजन ने कहा कि उनके आकलन के अनुसार निकट भविष्य में विकास और महंगाई दर की प्रवृत्ति उलट जाएगी।

रंजन ने कहा, ‘मौजूदा समय में आने वाले महीनों में महंगाई दर में स्थायी नरमी की पुष्टि महत्त्वपूर्ण है। चालू रबी सीजन अहम है, जिससे हमें खाद्य कीमतों में कमी की उम्मीदों को लेकर स्पष्ट दिशा मिल सकेगी।’ उन्होंने कहा कि प्रारंभिक संकेत अच्छी शुरुआत की ओर इशारा कर रहे हैं।

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने प्रमुख महंगाई दर में तेजी को लेकर चिंता जताई और वह महंगाई के परिदृश्य को लेकर सख्त बने रहे। पात्र ने कहा, ‘चिंता की बात यह है कि जुलाई के निचले स्तर से अब तक प्रमुख महंगाई 70 आधार अंक बढ़ चुकी है। खाद्य तेल की महंगाई जैसे शुरुआती संकेत यह हैं कि खाद्य कीमतें विपरीत असर डालेंगी और इसका असर प्रसंस्कृत खाद्यों पर भी नजर आने लगा है।’

समिति की अध्यक्षता करने वाले शक्तिकांत दास ने आर्थिक वृद्धि को लेकर अपनी उम्मीदें दोहराई। उन्होंने कहा, ‘2024-25 की दूसरी तिमाही के जीडीपी के कमजोर आंकड़ों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।’

First Published - December 20, 2024 | 10:34 PM IST

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