मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वर के मुताबिक अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 25) में वैश्विक स्तर पर तेल बाजार में दाम बढ़ने की स्थिति में भारत के लिए बड़ा नकारात्मक जोखिम होने की उम्मीद नहीं है। वैश्विक तेल बाजार आर्थिक सुस्ती व भूराजनीतिक संघर्ष से भी प्रभावित हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में गिरावट होने से पहले आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आएगी। लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि ऊर्जा की मांग अधिक बढ़ेगी। ऐसे में 2024 में तेल के दामों में उछाल भी नहीं आएगा।
भूराजनीतिक स्थितियां और लाल सागर में कार्गो के आने जाने के दौरान होने वाली घटनाओं का असर पड़ेगा। इससे मांग में गिरावट की चुनौती और बढ़ेगी। नागेश्वर ने भारत के बैंकिंग और इकनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा कि यदि महंगाई बढ़ती है तो आर्थिक गतिविधियां और सुस्त होंगी।
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट दिसंबर 2023 के मुताबिक भारत के कच्चे तेल की बास्केट एक साल से अधिक वर्ष तक सुस्त रही थी।